देश के हर गांव-घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए शुरू की गई जल जीवन मिशन अब एक बड़े खर्चीले अभियान में बदलती जा रही है. लेकिन हाल ही में इसके कामों में खर्च बढ़ने और अनियमितताओं को लेकर सरकार चिंतित नजर आई. इसी वजह से अब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए जल जीवन मिशन की योजनाओं की जमीनी जांच के लिए 100 केंद्रीय अधिकारियों की टीमें भेजने का फैसला किया है.
क्या है मामला?
सरकार को पता चला है कि कई राज्यों में जल जीवन मिशन की योजनाओं पर अनावश्यक खर्च हो रहा है. 2028 तक इस मिशन को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने केंद्र सरकार से 2.79 लाख करोड़ रुपये मांगे थे, लेकिन वित्त मंत्रालय ने खर्च पर सवाल उठाते हुए सिर्फ 1.51 लाख करोड़ रुपये देने की सिफारिश की, यानी 46% कम.
कौन सी योजनाएं होंगी जांच के दायरे में?
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा सोमवार को जारी आदेश में 99 नोडल अधिकारियों को नामित किया गया है जो 135 जिलों में फैली 183 योजनाओं की जांच करेंगे. इन योजनाओं को रैंडम तरीके से चुना गया है.
कुछ प्रमुख राज्य जहां जांच होगी:
- मध्य प्रदेश- 29 योजनाएं
- राजस्थान- 21 योजनाएं
- ओडिशा- 21 योजनाएं
- कर्नाटक- 19 योजनाएं
- उत्तर प्रदेश- 18 योजनाएं
- केरल- 10 योजनाएं
- गुजरात- 8 योजनाएं
- तमिलनाडु- 8 योजनाएं
कौन अधिकारी करेंगे जांच?
सरकार की ओर से गठित 100 टीमों में 75 संयुक्त सचिव, 2 वित्त सलाहकार और 106 निदेशक स्तर के अधिकारी शामिल होंगे. ये अधिकारी देशभर में जल जीवन मिशन की योजनाओं की जमीनी हकीकत जांचेंगे. सभी अधिकारियों को 23 मई को एक विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें उन्हें जांच के मापदंडों और प्रक्रियाओं की विस्तार से जानकारी दी जाएगी.
खर्च में क्यों आई चिंता?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जल जीवन मिशन की शुरुआत 2019 में हुई थी और तब इसका कुल बजट 3.60 लाख करोड़ रुपये था. अब तक राज्यों ने 6.4 लाख योजनाओं को मंजूरी दे दी है, जिनका कुल खर्च बढ़कर 8.29 लाख करोड़ रुपये हो चुका है.
कुछ कामों में एक नल लगाने की लागत ₹30,000 से बढ़कर ₹1.37 लाख तक हो गई है. ऐसे खर्चों पर सरकार ने सवाल उठाए हैं कि क्या ये बढ़ोत्तरी जायज है या कहीं बिल फुलाए जा रहे हैं?
अधिकारियों को मिलेगा प्रश्नावली फॉर्म
जांच के दौरान अधिकारी एक प्रश्नावली लेकर जाएंगे, जिसके जरिए वो यह देखेंगे कि काम समय पर हुआ या नहीं, गुणवत्ता कैसी है, खर्च कितने का आया और क्या वह उचित है.
किन राज्यों में होंगी जांच
जांच उन 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में होगी जहां यह मिशन चल रहा है, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, त्रिपुरा, असम, पश्चिम बंगाल और अन्य.