रेशम उत्पादन योजना से जुड़ेंगे 7500 ग्रामीण, 50 हजार महिलाएं होंगी आत्मनिर्भर

रेशम उत्पादन में उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. नई योजना से 7500 ग्रामीण जुड़ेंगे और 50 हजार महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 30 May, 2025 | 02:10 PM

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने रेशम उत्पादन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के एक मजबूत स्तंभ के रूप में विकसित करने का लक्ष्य तय किया है. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत वित्तीय साल 2025-2026 की कार्ययोजना में 7,500 समूह सदस्यों को रेशम उत्पादन से जोड़ने की योजना बनाई गई है. इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को आजीविका के नए अवसर देना और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ठोस कदम बढ़ाना है.

यूपी के 15 जनपदों से होगी शुरुआत

सरकार की रणनीति के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में 15 जिलों को चुना गया है, जहां रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा. इन जिलों में प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और वित्तीय सहयोग प्रदान किया जाएगा ताकि रेशम उत्पादक वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें. इसके पीछे सरकार की मंशा पारंपरिक कुटीर उद्योगों को आधुनिक तकनीक और नवाचार के साथ जोड़ने की है.

पिछले आठ साल में रेशम निर्यात 28 गुना बढ़ा

सरकारी दावे के अनुसार, पिछले आठ वर्षों में रेशम निर्यात में 28 गुना वृद्धि हुई है. यह योजना प्रदेश में रेशम उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होगी. वहीं सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में रेशम निर्यात को दोगुना कर करना, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति देगा.

400 मीट्रिक टन उत्पादन बनाम 3500 टन खपत

प्रदेश में फिलहाल 400 मीट्रिक टन वार्षिक रेशम उत्पादन होता है, जबकि खपत 3,500 मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है. ऐसे में राज्य को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना एक बड़ी चुनौती है, जिसे पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना की शुरुआत की गई है.

वाराणसी में सर्वाधिक मांग

रेशम की सबसे अधिक मांग वाराणसी में है, जहां यह बनारसी साड़ियों के लिए उपयोग होता है. इसी को देखते हुए रेशम को मुख्यमंत्री की एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में भी शामिल किया गया है.

महिलाओं की भागीदारी पर जोर

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और रेशम विभाग के बीच हुए समझौते के तहत अगले पांच सालों में 5,000 महिला समूहों की 50,000 सदस्यों को इस उद्योग से जोड़ा जाएगा. वहीं अब तक राज्य में 1,050 महिला समूहों को इस योजना से जोड़ा जा चुका है. इन्हें रेशम उत्पादन, धागा निर्माण, बुनाई और विपणन के लिए तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

रेशम सखियों को मिल रही ट्रेनिंग

प्रत्येक ब्लॉक में ‘रेशम सखियों’ की तैनाती की गई है, जिन्हें ब्लॉक मिशन मैनेजरों के साथ प्रशिक्षित किया जा रहा है. इन सखियों को रेशम उत्पादन की पूरी प्रक्रिया में दक्ष बनाया जा रहा है, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें.

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