केरल की काली मिर्च से कश्मीर के केसर तक, जयपुर में बिखरा भारत का जायका

जयपुर में 9 मई से शुरू हुआ राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला 2025, भारत के विभिन्न हिस्सों के मसालों का अद्भुत संगम बनकर प्रस्तुत हो रहा है. इस मेले में केरल की काली मिर्च से लेकर कश्मीर की केसर तक के मसाले प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जो 18 मई तक खुले रहेंगे.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 10 May, 2025 | 02:10 PM

राजस्थान की ऐतिहासिक राजधानी जयपुर की हवाओं में अब मसालों की महक बिखरी हुई है. 9 मई से जवाहर कला केन्द्र में शुरू हुआ राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला 2025, न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के बेहतरीन मसालों की एक भव्य प्रदर्शनी और बिक्री का अद्वितीय आयोजन है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस मेले का उद्घाटन कर इसे एक नई दिशा दी. इस मेले में केरल की काली मिर्च से लेकर कश्मीर के केसर और राजस्थान के विशेष मसाले, जैसे नागौर का जीरा और सिरोही की सौंफ, एक ही स्थान पर प्रदर्शित हो रहे हैं. यह मेला 18 मई तक रोज सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहेगा, जहां आप देशभर के उच्च गुणवत्ता वाले मसाले और खाद्य उत्पाद देख सकते हैं और खरीद सकते हैं.

देशभर के मसालों की झलक एक ही जगह

इस मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें भारत के हर कोने से आए मसालों को एक मंच पर लाया गया है. केरल की काली मिर्च, तमिलनाडु की रोड हल्दी, आंध्र प्रदेश की गुंटूर लाल मिर्च, कश्मीर की केसर, मध्य प्रदेश का सिहोरी गेहूं और पंजाब के चावल. ये सब कुछ एक ही परिसर में उपलब्ध हैं. यह आयोजन न सिर्फ स्वाद के शौकीनों के लिए एक सुनहरा मौका है, बल्कि व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास है.

National Cooperative Spice Fair in Jaipur,

National Cooperative Spice Fair 2025

स्थानीय उत्पादों की महक और पहचान

राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए मसाले और उत्पाद इस मेले में खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. नागौर का जीरा, सिरोही की सौंफ, प्रतापगढ़ की हींग, पुष्कर का गुलकंद, नाथद्वारा की ठंडाई और भुसावर का अचार, ये सब स्थानीय पहचान को राष्ट्रीय पटल पर सामने ला रहे हैं. यह मेला सहकारिता विभाग और राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड के सहयोग से आयोजित किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादित मसालों को सीधा बाजार मिल रहा है.

स्वाद, सुगंध और शुद्धता की गारंटी

‘सहकार मसाले’ अपने स्वाद, सुगंध और शुद्धता के लिए जाने जाते हैं. मेला न सिर्फ उत्पादों की बिक्री का स्थान है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए यह एक भरोसेमंद मंच भी है जहां वे शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण मसालों की खरीद कर सकते हैं. खास बात यह है कि इन मसालों की पैकेजिंग और गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है.

कला, संस्कृति और व्यापार का संगम

जवाहर कला केन्द्र में आयोजित यह मेला न केवल मसालों की प्रदर्शनी है, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव जैसा माहौल भी बनाता है. रंग-बिरंगे स्टॉल्स, लोक कला की छटा और व्यंजनों की खुशबू, सब मिलकर इस आयोजन को एक संपूर्ण अनुभव में बदल देते हैं. जयपुर वासियों और पर्यटकों के लिए यह मेला अगले दस दिन तक स्वाद, व्यापार और संस्कृति का अद्भुत संगम बनेगा.

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