महंगाई का सामना करने के लिए हो जाएं तैयार! सरकार ने बढ़ाई गेहूं और चावल की रिजर्व कीमत

भारत सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं, चावल और टूटे चावल का रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया है. यह कदम खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने और सरकारी भंडार के अनाज को कारगर तरीके से बाजार में उतारने के लिए उठाया गया है.

नोएडा | Updated On: 29 Jun, 2025 | 09:21 AM

भारत सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत बिकने वाले गेहूं और चावल का रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया है. टूटे हुए चावल का उपयोग एथनॉल बनाने वाली डिस्टिलरियों द्वारा किया जाएगा. 26 जून को हुई सचिवों की समिति (CoS) की बैठक में मोटे अनाज का भी रिजर्व प्राइस तय किया गया है, जो 30 जून 2026 तक लागू रहेगा. इसके साथ ही, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) ट्रांसपोर्ट का खर्च भी रिजर्व प्राइस में जोड़ेगा. ऐसे में जानकारों का कहना है कि आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ सकती है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक मेमोरेंडम में कहा गया है कि अब गेहूं 2,550 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से OMSS के तहत बेचा जाएगा. यह दर सभी फसल वर्षों के लिए लागू होगी, जिसमें 2025-26 की रबी मार्केटिंग सीजन भी शामिल है. अभी तक यह दर FAQ गेहूं के लिए 2,325 रुपये और URS गेहूं के लिए 2,300 रुपये थी.

नया रिजर्व प्राइस 1 अक्टूबर से लागू होगा

यह नया दाम तब से लागू होगा जब केंद्र सरकार गेहूं के लिए OMSS की घोषणा करेगी. चावल के लिए नया रिजर्व प्राइस 1 अक्टूबर से लागू होगा, जबकि मौजूदा दरें 31 अक्टूबर तक मान्य रहेंगी. केंद्र सरकार खाद्य महंगाई पर काबू पाने के लिए अपने गोदामों में भंडारित गेहूं और चावल को ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत बेचती है. यह स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास होता है.

अधिकतम बिक्री सीमा 32 लाख टन तय की गई

1 जून तक FCI के पास रिकॉर्ड 379.9 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद था. इसके अलावा 322.5 लाख टन धान भी है, जिससे करीब 216 लाख टन चावल तैयार किया जा सकता है. गेहूं का भंडार 369.2 लाख टन और मोटे अनाज का 4.6 लाख टन है. ये दोनों पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा हैं. पिछले दो वर्षों में केंद्र सरकार ने OMSS के जरिए गेहूं बेचकर कीमतों पर काबू पाने की कोशिश की है. अब सरकार ने राज्य सरकारों, उनकी एजेंसियों और कम्युनिटी किचन को सीधे बेचे जाने वाले चावल की कीमत 2,250 से बढ़ाकर 2,320 रुपये प्रति क्विंटल कर दी है. इसकी अधिकतम बिक्री सीमा 32 लाख टन तय की गई है.

बढ़ाकर 2,320 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई कीमत

एथनॉल बनाने के लिए डिस्टिलरियों को बेचे जाने वाले टूटे चावल की कीमत भी 2,250 से बढ़ाकर 2,320 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है, जिसकी अधिकतम सीमा 52 लाख टन रखी गई है. वहीं, छोटे निजी व्यापारियों, उद्यमियों और व्यक्तिगत खरीदारों को अब चावल 2,890 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिलेगा, जो पहले 2,800 रुपये था. केंद्र सरकार ने नाफेड, NCCF और केंद्रीय भंडार जैसी को-ऑपरेटिव संस्थाओं को ‘भारत ब्रांड’ चावल बेचने के लिए अब 2,480 रुपये प्रति क्विंटल की दर तय की है, जो पहले 2,400 रुपये थी.

फेडरेशनों को ई-नीलामी के जरिए बेचे जाएंगे चावल-गेहूं

अब 25 फीसदी टूटे हुए चावल, जो निजी व्यापारियों, कोऑपरेटिव संस्थाओं और कोऑपरेटिव फेडरेशनों को ई-नीलामी के जरिए बेचे जाएंगे, उनकी रिजर्व कीमत 2,800 से बढ़ाकर 2,890 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है. ‘राइस मिल ट्रांसफॉर्मेशन स्कीम’ के तहत 10 फीसदी टूटे हुए चावल की कीमत 3,000 से बढ़ाकर 3,090 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. वहीं, इसी स्कीम के तहत तैयार टूटे हुए चावल को ओपन मार्केट में 2,250 रुपये की बजाय अब 2,320 रुपये प्रति क्विंटल में बेचा जाएगा.

Published: 29 Jun, 2025 | 09:01 AM