दुनियाभर में बिहार के मखाने की धूम, निर्यात से हो रही 250 करोड़ तक की कमाई

मखाने में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स इसे फंक्शनल फूड बनाते हैं. भारत को मखाने के निर्यात से हर साल लगभग 200 से 250 करोड़ रुपये की आमदनी होती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 21 May, 2025 | 10:21 PM

बिहार और मखाने का एक-दूसरे से गहरा संबंध है. पूरी दुनिया में बिहार मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक है. लिहाजा भारत में मखाने की सबसे ज्यादा खेती बिहार में ही होती है. देशभर में मखाने का 80 से 90 फीसदी मखाना उत्पादन बिहार में ही होता है. इसकी खेती सबसे ज्यादा तालाबों , पोखरों और पानी से भरे इलाकों में की जाती है. बता दें कि बिहार के मखाने को राज्य सरकार के द्वारा जीआई टैग भी दिया जा चुका है. जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग और बढ़ गई है. मखाने की खेती में लागत कम आती है और किसानों को मुनाफा ज्यादा होता है . ऐसे में किसानों के लिए मखाने की खेती फायदा का सौदा साबित होती है. खबर में आगे हम जानेंगे कि मखाने की खेती कैसे होती है.

मखाने की खेती के लिए खेत की तैयारी

मखाना (Fox Nut) की खेती तालाबों या उन इलाकों में की जाती है जहां पानी जमा हो जाता है. तालाब में मखाने की खेती करने के लिए लगभघ 4 से 6 फीट की गहराई होनी चाहिए. तालाब में मखाने के बीजों का छिड़काव करें. मखाना पानी में उगने वाली फसल है इसलिए जरूरी है कि तालाब में हर समय पानी बना रहे. मखाने के बीजों को दिसंबर से जनवरी के बीच तालाब में बिखेरा जाता है. मखाने की कटाई नवंबर से दिसंबर महीने के बीच होती है.

फसल की कटाई और प्रोसेसिंग

मखाने की फसल की कटाई करना कठिन है क्योंकि कटाई के लिए इसके बीजों को तालाब के तलों में जाकर इकट्ठा करना पड़ता है. एक बार मखाने के बीजों को इकट्ठा कर लिया जाए फिर उसके बाद इन बीजों को तेज धूप में सुखाया जाता है. बता दें कि इन बीजों को पूरी तरह से सूखने के लिए 20 से 24 दिन का समय लगता है. एक बार बीज अच्छे से सूख जाएं तो इन्हें मिट्टी के चूल्हे पर भूना जाता है. भूनने के बाद मखाने के बीजों को लकड़ी की हथौड़ी से तोड़ा जाता है जिसके बाद फूला हुआ सफेद मखाना निकाला जाता है.

अंतरारष्ट्रीय बाजार में मखाने की मांग

मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जो कि पोषक तत्वों से भरपूर है. अंतरारष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बढ़ने का मुख्य कारण है इसके सेवन से होने वाले सेहत संबंधी फायदे. मखाना लो-फैट, हाई-प्रोटीन, ग्लूटन-फ्री होता है जो कि इसे शाकाहारी और वीगन डायट के लिए अच्छा ऑप्शन बनाता है. इसके अलावा मखाने में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स इसे फंक्शनल फूड बनाते हैं. भारत को मखाने के निर्यात से हर साल लगभग 200 से 250 करोड़ रुपये की आमदनी होती है.

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Published: 21 May, 2025 | 07:51 PM

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