कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर धोखा.. कंपनी ने पैसे देने से मना किया, अब किसान भूख हड़ताल करेंगे
Hapur Farmers Protest : हापुड़ के आलू किसान कांट्रैक्ट फार्मिंग कंपनी से भुगतान न मिलने पर आंदोलन पर उतर आए हैं. किसानों का आरोप है कि कंपनी ने 20 लाख रुपये भेजने का वादा किया था, लेकिन एक भी किस्त नहीं मिली. कई किसानों का करोड़ों रुपये फंसा है, जिससे वे कर्ज और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.
Hapur News : सर्दी की सुबह हो या तपती दोपहर, खेतों में मेहनत करने वाला किसान हमेशा अपनी फसल पर ही भरोसा रखता है. लेकिन, जब उसी फसल की कीमत न मिले, तो सबसे ज्यादा चोट किसान के दिल और घर की रसोई पर पड़ती है. हापुड़ के आलू किसान (Potato Farmers) भी आज इसी दर्द से गुजर रहे हैं. कांट्रैक्ट खेती का सपना दिखाया गया, समझौते किए गए, लेकिन जब भुगतान की बारी आई तो कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए हैं. अब किसान सड़कों पर हैं और लड़ाई आर-पार की है.
कंपनियों और अधिकारियों ने नहीं निभाया वादा
हापुड़ में कई गांवों के किसान (Hapur Farmers) एक बड़ी उम्मीद के साथ कांट्रैक्ट फार्मिंग (Contact Farming Cmpanies) में जुड़े थे. कंपनी ने उनसे आलू खरीदने का भरोसा दिया और बीज भी महंगे दाम पर उपलब्ध करवाए. बदले में किसानों को ऊंचे दाम पर खरीद की गारंटी दी गई थी. मई 2025 में हुए समझौते के बाद किसानों ने जून-जुलाई में अपनी पूरी उपज कंपनी को सौंप दी. लेकिन भुगतान के नाम पर उन्हें अब तक धोखा ही मिला. किसानों का आरोप है कि जिला उद्यान अधिकारी (DHO) भी कंपनी का पक्ष ले रहे हैं और किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं हैं.
डीएम के सामने दिया था 20 लाख रोजाना भेजने का वादा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार किसानों का कहना है कि कुछ दिनों पहले हापुड़ के जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय की मौजूदगी में कंपनी ने किसानों को फसल के बदले रोजाना 20 लाख रुपये उनके खातों में भेजने का आश्वासन दिया था. डीएम ने कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए और इसकी जिम्मेदारी DHO को दी गई. लेकिन, किसान बताते हैं कि उस दिन के बाद उनके खाते में एक भी किस्त नहीं आई (Farmers Payment Issues). कंपनी के प्रतिनिधि पहले कोल्ड स्टोर में रखे आलू को बेचने की इजाजत मांगते रहे. डीएम ने अनुमति भी दे दी, उसके बाद भी कंपनी ने सिर्फ थोड़ी सी रकम भेजकर हाथ खींच लिया.
कलक्ट्रेट में अनिश्चितकालीन धरना- अब करेंगे भूख हड़ताल
भुगतान न मिलने से परेशान किसान अब आंदोलन (Hapur Farmers Protest) के लिए मजबूर हो गए हैं. सोमवार से किसान कलक्ट्रेट परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि अगर मंगलवार तक समाधान नहीं मिला, तो वे भूख हड़ताल शुरू कर देंगे. किसानों ने बताया कि कंपनी के लोग अब धमकाने तक लगे हैं और समझौते की बात भी नहीं मान रहे. इसके कारण किसान भारी चिंता में हैं.
कर्ज और धमकियों से टूट रहे किसान
कंपनी पर किसानों का करीब चार करोड़ रुपये बकाया है. पैसा न मिलने से कई किसान अब कर्ज चुकाने की स्थिति में भी नहीं हैं. कनिया कल्याणपुर, बाबूगढ़ और आसपास के गांवों के किसान बताते हैं कि उन्होंने कंपनी के अधिकारियों के साथ लिखित अनुबंध किए थे. लेकिन अब वही लोग भुगतान से बच रहे हैं. किसानों ने बीज, खाद और दवा खरीदने में पूरी पूंजी लगा दी थी. फसल बेचने के बाद भी पैसे न मिलना उनके लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. कई किसान कहते हैं कि डीएम की कोशिशों के बाद जब कंपनी ने भुगतान शुरू करने की बात कही, तब उन्होंने धरना खत्म किया था. लेकिन वादा टूट गया और अब किसान फिर संघर्ष में उतर आए हैं.