पहली बार जीनोम एडिटेड धान की दो किस्में लॉन्च, ये खूबियां बढ़ाएंगी किसानों की कमाई

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वैज्ञानिक लैब में बैठकर जो प्रयोग करते हैं वो खेतों तक पहुंचें, इसके लिए 29 मई से हमारे वैज्ञानिकों की टीम अलग-अलग जिलों में खेतों में जाकर किसानों को नए प्रयोगों के संबंध में जानकारी देगी.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 4 May, 2025 | 07:14 PM

खरीफ सीजन में धान बुवाई से पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) देशभर में पहली बार जीनोम एडिटेड धान की 2 किस्मों को लाया है. इन दोनों धान की किस्मों को आज रविवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जारी किया. ICAR ने कहा कि इस तरह के बीजों का विकास अत्याधुनिक जीनोम एडिटेड तकनीक के जरिए किया गया है और यह देश में पहली उपलब्धि है. दोनों किस्मों की बुवाई करने पर किसानों को कम लागत लगानी पड़ेगी, जबकि उत्पादन 30 फीसदी अधिक मिलेगा.

किसानों के लिए धान की दो नई किस्में

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि धान की दो नई किस्मों में पहली किस्म पहली किस्म का नाम DRR धान 100 कमला है, को एक लोकप्रिय अधिक उपज वाले हरे चावल सांबा महसूरी से विकसित किया गया है. दूसरी किस्म का नाम पूसा डीएसटी राइस 1 है और इसे मारुतेरु 1010 (MTU1010) से विकसित किया गया है.

इन राज्यों में 45 लाख टन अधिक उपज होगी

कृषि मंत्री ने कहा कि यह किस्म आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल,छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लिए विकसित की गई है. उन्होंने कहा कि संस्तुत क्षेत्र में करीब 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में इन किस्मों के खेती से 4.5 मिलियन टन अधिक धान का उत्पादन होगा.

किसानों की सिंचाई लागत घटेगी

कृषि मंत्री ने कहा कि ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में 20 प्रतिशत यानि 3200 टन की कमी आएगी. इसके अतिरिक्त 20 दिन की अवधि कम होने के कारण तीन सिंचाई कम लगने से कुल 7500 मिलियन क्यूबिक मीटर सिंचाई जल की बचत होगी, जो अन्य फसलों के लिए काम आएगा. इन किस्मों के जल्दी पकने की वजह से अगली फसल की बुआई समय से हो सकती है और बहुफसलीय प्रणाली को अपनाया जा सकता है.

दोनों किस्मों के फायदे

सांबा महसूरी
सांबा महसूरी से विकसित नई किस्म की कटाई उसके मूल समय से 15-20 दिन पहले की जा सकती है. उपज लगभग 25 फीसदी अधिक है, जो प्रति हेक्टेयर लगभग आठ टन अधिक है. इस किस्म में धान का प्रत्येक दाना मूल फसल की तुलना में 450 से 500 दाने अधिक देगा.

पूसा डीएसटी राइस 1
कृषि मंत्री ने कहा कि MTU1010 से विकसित की गई इस किस्म का नाम पूसा डीएसटी राइस 1 है, जो खारेपन को और गर्म तापमान को झेल सकती है. नई किस्म ने MTU1010 की तुलना में 9.66% अतिरिक्त उपज देती है. क्षारीय स्थितियों में नई किस्म ने अपनी मूल किस्म की तुलना में 14.66 फीसदी अधिक उपज दी है.

Genome Edited new paddy varieties - Kisan India

Genome Edited new paddy varieties

आईसीएआर के अनुसार यह किस्में जलवायु के अनुकूल हैं. यह किस्म पानी और खनिजों का सही तरीके से इस्तेमाल करती हैं. यह तापमान में वृद्धि को भी सहन कर सकती है. इस किस्म की खेती सीधे बीज बोने की विधि से भी की जा सकती है.

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Published: 4 May, 2025 | 12:12 PM

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