पहली बार जीनोम एडिटेड धान की दो किस्में लॉन्च, ये खूबियां बढ़ाएंगी किसानों की कमाई

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वैज्ञानिक लैब में बैठकर जो प्रयोग करते हैं वो खेतों तक पहुंचें, इसके लिए 29 मई से हमारे वैज्ञानिकों की टीम अलग-अलग जिलों में खेतों में जाकर किसानों को नए प्रयोगों के संबंध में जानकारी देगी.

नोएडा | Updated On: 4 May, 2025 | 01:31 PM

खरीफ सीजन में धान बुवाई से पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) देशभर में पहली बार जीनोम एडिटेड धान की 2 किस्मों को लाया है. इन दोनों धान की किस्मों को आज रविवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जारी किया. ICAR ने कहा कि इस तरह के बीजों का विकास अत्याधुनिक जीनोम एडिटेड तकनीक के जरिए किया गया है और यह देश में पहली उपलब्धि है. दोनों किस्मों की बुवाई करने पर किसानों को कम लागत लगानी पड़ेगी, जबकि उत्पादन 30 फीसदी अधिक मिलेगा.

नई धान किस्में जल्दी तैयार होंगी

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वैज्ञानिक लैब में बैठकर जो प्रयोग करते हैं वो खेतों तक पहुंचें, इसके लिए 29 मई से हमारे वैज्ञानिकों की टीम अलग-अलग जिलों में खेतों में जाकर किसानों को नए प्रयोगों के संबंध में जानकारी देगी. उन्होंने कहा कि जो नई धान किस्मों को लाया गया है ये जल्दी तैयार होंगी और कम लागत लगेगी. इससे किसान को फायदा मिलेगा.

इन राज्यों के किसानों के लिए वरदान होंगी

कृषि मंत्री ने कहा कि तेलगाना, महाराष्ट्र, बंगाल, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों के लिए रामबाण बनेगी. उन्होंने कहा कि धान की दो नई किस्मों में पहली किस्म पहली किस्म का नाम DRR धान 100 कमला है, को एक लोकप्रिय अधिक उपज वाले हरे चावल सांबा महसूरी से विकसित किया गया है. दूसरी किस्म मारुतेरु 1010 (MTU1010) से है, जिसका देश भर के किसान बड़े स्तर पर इस्तेमाल करते हैं.

दोनों किस्मों के फायदे

सांबा महसूरी
सांबा महसूरी से विकसित नई किस्म की कटाई उसके मूल समय से 15-20 दिन पहले की जा सकती है. उपज लगभग 25 फीसदी अधिक है, जो प्रति हेक्टेयर लगभग आठ टन अधिक है. इस किस्म में धान का प्रत्येक दाना मूल फसल की तुलना में 450 से 500 दाने अधिक देगा.

पूसा डीएसटी राइस 1
कृषि मंत्री ने कहा कि MTU1010 से विकसित की गई इस किस्म का नाम पूसा डीएसटी राइस 1 है, जो खारेपन को और गर्म तापमान को झेल सकती है. नई किस्म ने MTU1010 की तुलना में 9.66% अतिरिक्त उपज देती है. क्षारीय स्थितियों में नई किस्म ने अपनी मूल किस्म की तुलना में 14.66 फीसदी अधिक उपज दी है.

Genome Edited new paddy varieties - Kisan India

Genome Edited new paddy varieties 

आईसीएआर के अनुसार यह किस्में जलवायु के अनुकूल हैं. यह किस्म पानी और खनिजों का सही तरीके से इस्तेमाल करती हैं. यह तापमान में वृद्धि को भी सहन कर सकती है. इस किस्म की खेती सीधे बीज बोने की विधि से भी की जा सकती है.

Published: 4 May, 2025 | 12:12 PM

Topics: