तेल चाहिए अधिक, तो जानें सरसों में कितना डालें डीएपी और यूरिया

खेत में खाद डालने से पहले आपको डीएपी और यूरिया की सही मात्रा की जानकारी होनी चाहिए, ताकि सरसों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें.

Kisan India
Updated On: 15 Feb, 2025 | 10:59 AM

इन दिनों खेतों में सरसों के नए पौधे उगते हुए दिखाई दे रहे हैं. लेकिन क्या आपने गौर किया है कि कहीं आपके पौधे पोषण की कमी से जूझ तो नहीं रहे? पौधे तब कुपोषित होते हैं जब उन्हें मिट्टी से पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते. इसके अलावा, पौधों के पत्तों और तनों की स्थिति देखकर भी अंदाजा लगाया जाता है कि उन्हें खाद की जरूरत है.  खेत में खाद डालने से पहले आपको डीएपी और यूरिया की सही मात्रा की जानकारी होनी चाहिए, ताकि सरसों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें. इसके अलावा, सरसों में गंधक का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. आइए, इन दोनों खादों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

सरसों की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो डीएपी और 100 किलो यूरिया पर्याप्त होता है. इसके साथ-साथ, गंधक का उपयोग भी फसल के लिए बहुत फायदेमंद होता है. गंधक के प्रयोग से सरसों की फलियां और दाने मजबूत बनते हैं. प्रति हेक्टेयर 15 किलो गंधक डालने से सरसों की उपज और तेल की मात्रा में वृद्धि होती है.

खाद और गंधक का उपयोग करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि डीएपी की पूरी मात्रा और यूरिया-गंधक का एक तिहाई भाग खेत तैयार करते समय, बीज बोने से पहले और अंतिम जुताई के वक्त डालना चाहिए. बचा हुआ यूरिया और गंधक फसल की पहली सिंचाई और फूल बनने के समय सिंचाई के दौरान बराबर दो भागों में बांटकर डालना चाहिए.

सिंचाई का सही हिसाब

सरसों की फसल में उचित सिंचाई प्रबंध करना बेहद जरूरी है. यदि खेत में नमी की कमी हो, तो बुवाई के 25 से 30 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद 15 से 20 दिन के अंतराल पर दूसरी और तीसरी सिंचाई करें. विशेष रूप से, फूल और फली बनने के समय सिंचाई करना जरूरी होता है, क्योंकि उस समय मिट्टी में नमी की कमी से उपज घट सकती है. इसलिए इन दोनों अवस्थाओं में सिंचाई पर खास ध्यान देना चाहिए. आमतौर पर, सरसों की फसल में चार से अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती.

कीट प्रकोप और बचाव के उपाय

सरसों की फसल में मक्खियों का प्रकोप भी एक बड़ी समस्या है, खासकर आरा मक्खी, जो नारंगी रंग का एक कीड़ा होता है. इसका सिर काला होता है और यह फलियों एवं पत्तियों को खाकर उनमें छेद कर देता है, जिससे पौधों और फलियों का विकास रुक जाता है और उपज पर खराब असर पड़ता है.

इस समस्या से बचने के लिए किसानों को उचित कीटनाशक उपाय अपनाने चाहिए. यह प्रकोप अक्टूबर से जनवरी तक अधिक देखने को मिलता है. इसकी रोकथाम के लिए, बीएचसी 10 प्रतिशत या मिथाइल पेराथियान 2 प्रतिशत का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह या शाम में डस्टर से छिड़काव करना चाहिए.

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Published: 15 Feb, 2025 | 06:10 AM

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