6 महीने में फल, 3 साल तक कमाई, पपीते की खेती बदल रही किसानों की आमदनी की तस्वीर
परंपरागत फसलों से सीमित कमाई के बीच पपीते की खेती किसानों के लिए नया मौका बनकर उभरी है. यह फसल कम समय में फल देना शुरू कर देती है और कई साल तक लगातार उत्पादन देती है. कम लागत, बाजार में अच्छी मांग और आसान देखभाल के कारण किसान इसकी ओर तेजी से रुख कर रहे हैं.
Papaya Farming : अगर आप गेहूं, चना या मक्का जैसी फसलों से सीमित कमाई से परेशान हैं, तो पपीते की खेती एक बेहतर विकल्प बन सकती है. पपीता ऐसी फसल है, जो कम समय में फल देना शुरू कर देती है और एक बार लगाने के बाद 2 से 3 साल तक लगातार आमदनी देती है. यही वजह है कि अब कई किसान पपीते की खेती को अपनाकर अपनी कमाई बढ़ा रहे हैं.
गेहूं-चना के मुकाबले क्यों ज्यादा फायदेमंद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पारंपरिक फसलों में हर सीजन बुवाई, खाद, सिंचाई और कटाई पर खर्च करना पड़ता है, लेकिन मुनाफा सीमित रहता है. वहीं पपीते की खेती में एक बार पौध लगाने के बाद लंबे समय तक उत्पादन मिलता है. इससे लागत भी कम होती है और आमदनी लगातार बनी रहती है. यही कारण है कि पपीता किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है.
कितने समय तक मिलता है पपीते से उत्पादन
पपीता जल्दी फल देने वाली फसल मानी जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पौध लगाने के करीब 6 से 8 महीने में फल आना शुरू हो जाता है. सही देखभाल की जाए तो एक पौधा 2 से 3 साल तक लगातार फल देता है. पपीते की पौध लगाने के लिए सर्दियों का मौसम सबसे बेहतर माना जाता है. हालांकि खेत में पानी का जमाव न होने देना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे पौधों को नुकसान हो सकता है.
कौन सी किस्म और कैसे करें खेती
पपीते की उन्नत किस्मों में रेड लेडी को बाजार में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है, क्योंकि इसमें फल एकसार होते हैं और बिक्री आसानी से हो जाती है. इसके अलावा कुछ दूसरी किस्में भी अच्छी पैदावार देती हैं. पपीते की खेती करते समय पौधों को तय दूरी पर लगाना जरूरी होता है, ताकि हवा और धूप सही मिले. गड्ढों में सड़ी हुई गोबर खाद और नीम खली मिलाने से पौधों की शुरुआती बढ़वार मजबूत होती है. सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम अपनाने से पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के अनुसार नमी मिलती रहती है. फल आने के बाद पौधों को सहारा देना जरूरी होता है, जिससे वे गिरने से बचे रहते हैं.
लागत कम, कमाई ज्यादा
पपीते की खेती किसानों के लिए कम लागत और ज्यादा मुनाफे का विकल्प मानी जाती है. इसमें शुरुआती खर्च ज्यादा नहीं आता, जबकि एक बार पौध लगाने के बाद लंबे समय तक फल मिलता रहता है. एक पौधे से अच्छी मात्रा में पपीता निकलता है, जिससे कुल उत्पादन बढ़ जाता है. बाजार में पपीते की मांग सालभर बनी रहती है, इसलिए बिक्री में दिक्कत नहीं होती. सामान्य बाजार भाव मिलने पर किसान सालाना अच्छी कमाई कर सकते हैं. पपीते की बिक्री सिर्फ स्थानीय मंडियों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसे आसपास के शहरों और बड़े बाजारों में भी आसानी से भेजा जा सकता है. इससे किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं और मुनाफा और बढ़ जाता है.