देश में मॉनसून पूरी तरह से एंट्री कर चुका है. इसके साथ ही किसान भी अब बारिश में अच्छी उपज देने वाली फसलों की खेती करने लगे हैं. बारिश के दिनों में खेती करने से किसानों को दोहरा फायदा होता है. एक ओर जहां उन्हें अच्छा उत्पादन मिलता है, वहीं दूसरी ओर पानी की भी बचत होती है. लिहाजा बारिश के मौसम में खेती करना किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. बारिश के दिनों में किसान कई तरह की फसलों और फूलों की खेती कर सकते हैं जिनमें से एक रजनीगंधा का फूल भी है.
बरसात के दिनों में अच्छे रख रखाव के साथ रजनीगंधा की खेती की जाए तो किसानों को इससे अच्छा उत्पादन मिल सकता है और अच्छी कमाई भी हो सकती है. बता दें कि रजनीगंधी के फूलों को सजावट के साथ-साथ बेहतरीन खुशबू के कारण पूजा की अगरबत्ती और धूप बत्ती बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
ऐसे करें खेत की तैयारी
रजनीगंधा फूल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सही मानी जाती है जिसका pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. रजनीगंधा की खेती के लिए 20 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. रजनीगंधा के बीजों की बुवाई से पहले खेत की अच्छे से 2 से 3 बार गहरी जुताई कर लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके. इसके बाद मिट्टी में 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद मिलाएं. ध्यान रहे कि रजनीगंधा के पौधे को कम से कम 6 से 8 घंटे की धूप हर दिन चाहिए होती है.
रोपाई का सही तरीका
रजनीगंधा के कंदों की रोपाई के लिए 1.5 से 2.5 सेमी के कंद का चुनाव करें . मॉनसून सीजन में शुरुआती दिनों में ही कंदों की रोपाई करनी चाहिए. कतार से कतार में रोपाई के लिए 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी और गहराई 5 से 7 सेमी की होनी चाहिए. बता दें रजनीगंधा की फसल की पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें. बारिश के दिनों में फसल को जरूरत के हिसाब से ही पानी दें और जलभराव न होने दें. जलभराव की स्थिति में फसल सड़ कर खराब हो सकती है.
कटाई का सही समय
रजनीगंधा का पौधा 90 से 110 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाता है और कटाई के लिए सुबह या शाम का समय सही होता है. फूल की तुड़ाई के लिए पहले पौधे को देख जांच लें, अगर पौधे में 1-2 कलियां खिलने लगें तब हर 2 से 3 दिन में फूल की तुड़ाई शुरू करें. बात करें रजनीगंधा के पौधे से होने वाली पैदावार की तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसानों को 5 हजार से 7 हजार किलोग्राम फूल मिल सकते हैं. वहीं फूलों के साथ-साथ कंदों की संख्या में भी बढ़त होती है.