बनारसी पान की अनोखी खेती: जानिए कहां और कैसे होती है इसकी उपज

भारतीय संस्कृति, साहित्य और फिल्मों में भी बनारसी पान का जिक्र जरूर होता है.

Kisan India
Agra | Published: 20 Mar, 2025 | 09:00 PM

वाराणसी (बनारस) का बनारसी पान भारत में अपने नाम और स्वाद के लिए जाना जाता है. इसकी विशेष खुशबू, अनोखे स्वाद और खास बनाने की शैली के कारण यह काफी लोकप्रिय है. भारतीय संस्कृति, साहित्य और फिल्मों में भी बनारसी पान का जिक्र जरूर होता है. पान का इस्तेमाल खाने के साथ-साथ पूजा पाठ में भी किया जाता है. देश के कई इलाकों में इसकी खेती की जा रही है. साथ ही किसानों को पान की खेती की ओर बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाओं पर लगातार काम कर रही है. जानिए बनारसी पान से जुड़ी तमाम जानकारियां.

यहां से आता है बनारसी पान

बनारसी पान, वाराणसी, मिर्जापुर, इलाहाबाद और बिहार के मगध क्षेत्र में उगाया जाता है. इसे मगही पान के नाम से भी जाना जाता है. यहां की प्राकृतिक मिट्टी, जलवायु और पारंपरिक कृषि पद्धतियां इस पान को दूसरों से अलग बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं.

कैसे करें पान की खेती

 

प्रजनन
पान के पौधे को आमतौर पर बीज से नहीं, बल्कि कटिंग (कटे हुए तने के हिस्से) से उगाया जाता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि नए पौधे में वही गुण हैं जो मूल पौधे में थे. इन कटिंग्स को पहले नर्सरी में लगाया जाता है जहां इनकी एक नियंत्रित वातावरण में देखभाल होती है.

नर्सरी से खेत तक का सफर
कटिंग्स के तने जब मजबूत हो जाते हैं, तो इन्हें खेत में लगाया जाता है. इसके लिए खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से जोतकर और जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद) मिलाकर उपजाऊ बनाया जाता है.

मिट्टी और जल प्रबंधन
पान की खेती के लिए उपजाऊ, नमीयुक्त मिट्टी जरूरी होती है. वाराणसी क्षेत्र की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पोषक तत्व इसे पान के लिए अनुकूल बनाते हैं. साथ ही खेत की नियमित सिंचाई करना आवश्यक है, खासकर गर्मी और मानसून के मौसम में किसान को नमी का ध्यान देना पड़ता है.

सहारा और छाया
पान का पौधा बेल की तरह बढ़ता है, जिसे बढ़ने के लिए सहारा की जरूरत होती है. खेत में पेड़ों या तख्तों का इंतजाम किया जाता है, ताकि पौधा ऊपर की ओर चढ़ सके और सीधे तेज धूप से बचा रहे. ध्यान रहे पान का पौधा सीधी धूप को सहन नहीं कर पाता. पान की खेती के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सबसे अच्छा होता है.

उर्वरक और जैविक खाद
पारंपरिक तरीकों में गोबर, कंपोस्ट तथा अन्य जैविक खाद का उपयोग किया जाता है. इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पौधे स्वस्थ रूप से बढ़ते हैं, जिससे पान की गुणवत्ता भी उत्तम होती है.

कटाई
जब पान के पत्ते मोटे, चमकदार और पूरे विकसित हो जाते हैं, तब उन्हें हाथ से चुना जाता है. कटाई के बाद पत्तों को अच्छी तरह साफ किया जाता है ताकि वे ताजगी बनाए रखें.

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Published: 20 Mar, 2025 | 09:00 PM

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