उत्तर प्रदेश में बुधवार को कई जिलों में आंधी के साथ बारिश हुई. इससे बागवानी सहित कई फसलों को नुकसान पहुंचा है. लेकिन सबसे ज्यादा आम के बाग के ऊपर मौसम की मार पड़ी है. मलिहाबाद को छोड़कर कई जिलों में आम की फसल को नुकसान पहुंचने की खबर हैं. अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र सिंह ने कहा कि चूंकि आंधी तेज नहीं थी, इसलिए मलिहाबाद में आम गिरने की घटनाएं बहुत कम हुईं. उन्होंने कहा कि हल्की बारिश से आम का आकार बढ़ेगा और फसल अपने समय से लगभग एक हफ्ता पहले पक कर तैयार हो जाएगी. यानी ये बारिश किसानों के लिए अच्छी साबित हुई है.
हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि उन्नाव, सीतापुर, हरदोई और बाराबंकी जैसे आम के बेल्ट वाले इलाकों में फसल को काफी नुकसान हुआ है. मलिहाबाद के आम बागान के किसान नसीब खान ने कहा कि जब आम का आकार और वजन बढ़ रहा होता है, तब किसान नियमित रूप से सिंचाई करते हैं, ताकि फल अच्छी तरह पके और सही आकार ले सके. गुरुवार की हल्की बारिश ने ये काम प्राकृतिक रूप से कर दिया. उन्होंने कहा कि इस महीने में दूसरी बार है जब बेमौसम बारिश का मलिहाबाद की आम की फसल पर अच्छा असर पड़ा है.
मार्च में गर्मी बढ़ने से फसल को नुकासन
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल की शुरुआत में भी जब आम सिर्फ एक इंच के थे और पेड़ों पर अभी-अभी लगे थे, तब भी हल्की बारिश हुई थी, जिससे फलों का विकास बेहतर हुआ. नसीब खान ने कहा कि जब फल पेड़ पर लग जाता है और आकार लेना शुरू करता है, तब उसे बड़ा होने के लिए पानी की जरूरत होती है. उपेंद्र सिंह का कहना है कि अप्रैल में हुई बारिश आम के लिए बिलकुल सही था. उन्होंने कहा कि हालांकि, मलिहाबाद में दशहरी, लंगड़ा, लखनऊवा सफेदा और चौसा किस्म के आम उगाए जाते हैं. इनमें सबसे पहले दशहरी पकता है, फिर लंगड़ा, लखनऊवा सफेदा और आखिर में चौसा.
कब पकता है दशहरी आम
मलिहाबाद में आम की अच्छी फसल हर दूसरे साल होती है. इस साल पेड़ों पर जबरदस्त फूल आए थे, लेकिन फरवरी के अंत और मार्च में अचानक बढ़े तापमान ने काफी फूल जला दिए. नसीब खान ने कहा कि फूलों के समय मौसम का थोड़ा भी बदलाव आम की फसल पर भारी असर डालता है. जनवरी से आम में बौर (फूलों के गुच्छे) आना शुरू होता है, जो फसल का पहला चरण होता है. मार्च के मध्य तक फल लगना शुरू हो जाता है और मई के अंत तक फल कुछ आकार ले लेते हैं. दशहरी आम मई के आखिरी या जून की शुरुआत में पकने लगता है, जबकि बाकी किस्में जून के अंत तक तैयार होती हैं.