संतरा एक बेहद लोकप्रिय और फायदेमंद फल है जो कि विटामिन -सी (Vitamin-C) से भरपूर होता है. संतरा अपने स्वाद के लिए सालभर बाजार में भारी डिमांड पर रहता है. भारत में किसान बड़े पैमाने पर संतरे की खेती करते हैं, जिनमें खास तौर पर नागपुर, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के किसान शामिल हैं. वैसे तो संतरे की खेती से किसानों को बहुत फायदा होता है लेकिन मल्चिंग विधि से संतरे की खेती करने से पानी की भी बचत होती है और फसल से उत्पादन भी अच्छा मिलता है.
मल्चिंग विधि से खेती
मल्चिंग विधि से संतरे की खेती आधुनिक खेती की प्रक्रिया है जो कि किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित होती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मल्चिंग विधि से संतरे की खेती करने से मिट्टी की नमी बनी रहती है, खेतों में खरपतवार कम होते हैं और पौधे तेजी से बढ़ते हैं. संतरे जैसी फसल जो लंबे समय तक पैदावार देती है, उसके लिए मल्चिंग विधि खेती के लिए बेहद ही कारगर है.
मल्चिंग विधि से खेती क्यों करें
मल्चिंग विधि से संतरे की खेती करने से बार-बार खेत की सिंचाई की जरूरत नहीं होगी जिससे किसान 50 फीसदी तक पानी की बचत कर सकते हैं. मल्चिंग विधि के इस्तेमाल से खेतों में खरपतवार नहीं होते जिसके कारण फसल सुरक्षित रहती है. इस विधि में फल और पत्तियां सीधे मिट्टी के संपर्क में नहीं आते हैं जिसके कारण फसल में रोग लगने का खतरा भी कम हो जाता है. इसके साथ ही मल्चिंग विधि से मिट्टी का तापमान भी कंट्रोल में रहता है जिसके कारण पौधा बदलते मौसम में भी सुरक्षित रहता है.
मल्चिंग के 2 तरीके
- ऑग्रेनिक मल्चिंग (Organic Mulching)
मल्चिंग विधि के इस तरीके में सूखी पत्तियों, भूसा, गोबर की खाद, लकड़ी के बुरादा आदि से मल्च तैयार करते हैं. इस मल्च को फसल पर मॉनसून के बाद पौधा लगाने के तुरंत बाद इस्तेमाल करें. मल्चिंग की इस विधि से किसान खेती को पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं.
- इनऑर्गेनिक मल्चिंग (Inorganic Mulching)
इस तरीके से मल्चिंग करने के लिए काली या सिल्वर रंग की प्लास्टिक शीट या फिर बायोडीग्रेडेबल फिल्म के इस्तेमाल से मल्च तैयार करें. इस मल्च को ज्यादा गर्म या ठंडे इलाकों में इस्तेमाल किया जाता है.