किसानों को 50 फीसदी पर सरकार दे रही ढैंचा के बीज, मिट्टी की सेहत सुधारने पर जोर

कृषि विभाग की योजनाओं के अंदर आने वाले विभागीय पोर्टल में रजिस्टर्ड सभी किसान 50 फीसदी सब्सिडी पर 40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से ज्यादा से ज्यादा 2 हेक्टेयर जमीन के लिए बीज उपलब्ध कराए जाएंगे.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 31 May, 2025 | 12:30 PM

उत्तर प्रदेश में मिट्टी की उर्वरता बढाने और उसमें जैविक खादों की बढ़ोतरी करने के लिए प्रदेश कृषि विभाग की ओर से सामान्य वितरण और प्रदर्शन कार्यक्रम के तहत ढैंचा के बीजों को किसानों में बांटने की योजना बनाई गई है. इसको लेकर यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि इस योजना को पूरा करने के लिए सभी जिलों के राजकीय कृषि भंडारों पर अबतक 11 हजार 656 क्विंटल बीजों की सप्लाई की जा चुकी है.

मिट्टी के लिए रामबाण हैं ढैंचा

प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि बारिश के कारण मिट्टी में पोषक तत्वों का बढ़ जाना और जमीन की उर्वरता और जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए ढैंचा की हरी खाद की इस्तेमाल रामबाण साबित होगा. उन्होंने बताया कि जिप्सम की मदद से मिट्टी में अल्कलाइन की मात्रा सुधारने के बाद पहली और दूसरी फसल के रूप में धान और गेहूं की खेती की जाती है, जबकि जायद सीजन में तीसरी फसल के रूप में हरी खाद या ढैंचा की बुवाई की जाए तो मिट्टी में अल्कलाइन की मात्रा को सुधारने में सफलता मिलती है.

Uttar Pradesh Agriculture

UP Agriculture Minister Surya Pratap Shahi

सब्सिडी पर मिलेंगे ढैंचा के बीज

कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश के कृषि विभाग की योजनाओं के अंदर आने वाले विभागीय पोर्टल में रजिस्टर्ड सभी किसान 50 फीसदी सब्सिडी पर 40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से ज्यादा से ज्यादा 2 हेक्टेयर जमीन के लिए बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. किसान इन बीजों को राजकीय बीज गोदाम से खरीद कर अपने खेतों में समय से ढैंचा की बुवाई करके मिट्टी को सुधारने मदद कर सकते हैं.

हरी खाद के फायदे

बात करें अगर हरी खाद यानी ढैंचा के फायदों की तो ढैंचा की फसल से गर्मियों में खेत की मिट्टी की ऊपरी सतह ढकी रहती है, जिसके कारण मिट्टी की ऊपरी सतह पर नमक नहीं आ पाता है और जमीन को सुधारने में भी मदद मिलती है. बता दें कि ढैंचा की जड़ों में पाया जाने वाला राइजोबियम बैक्टीरिया, वातावरण में स्थित 70 से 80 किग्रा नाइट्रोजन जमीन को प्रति हेक्टेयर की दर से उपलब्ध कराता है. इसके साथ ही एक बार ढैंचा सड़ जाए तो ये मिट्टी में पाए जाने वाले कार्बनिक तत्वों की मात्रा में बढ़ोतरी करता है.

ऐसे करें ढैंचा का इस्तेमाल

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि सामान्य खेत के लिए 40 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है, जबकि सुधारी गई मिट्टी में बीज की मात्रा 60 किलो प्रति हेक्टेयर कर लेनी चाहिए. किसानों के लिए सलाह है कि वे बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए उन्हें रातभर पानी में भिगोकर रख दें और बीजों को बोने से पहले ज्यादा बचे हुए पानी को हटा दें. कृषि मंत्री ने प्रदेश के किसानों से यह भी अपील की हरी खाद के लिए किसान ढैंचा की बुवाई के 40 से 45 दिन बाद खड़ी फसल को मिट्टी पलट हल से पलट दें, क्योंकि ढैंचा की जड़े काफी गहरी होती हैं, इससे मिट्टी की उपरी सख्त परत टूट भी जाती है और जमीन में भी सुधार होता है.

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Published: 31 May, 2025 | 12:24 PM

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