बकरियां बार-बार बीमार हो रही हैं? इन 5 रोगों से बचाने के लिए अपनाएं ये तरीके
Goat Farming : बकरी पालन में कम लागत में अच्छी कमाई संभव है, लेकिन बीमारी मुनाफे को नुकसान में बदल सकती है. अगर बकरियों के आम रोगों की समय पर पहचान और सही इलाज कर लिया जाए, तो पशु स्वस्थ रहते हैं. सही देखभाल, साफ-सफाई और जानकारी से किसान नुकसान से बच सकते हैं और आमदनी बढ़ा सकते हैं.
Goat Diseases : आज के समय में बकरी पालन किसानों के लिए कम लागत में अच्छी कमाई का जरिया बनता जा रहा है. गांव से लेकर शहर तक बकरी के दूध और मांस की मांग बनी रहती है. लेकिन कई बार छोटी-सी लापरवाही बकरियों को बीमार कर देती है और पूरा मुनाफा नुकसान में बदल जाता है. अगर बकरियों की बीमारी को समय रहते पहचान लिया जाए और सही इलाज कर दिया जाए, तो जान के साथ-साथ किसान की मेहनत भी बच सकती है. ज्यादातर नुकसान बीमारी की जानकारी न होने की वजह से होता है.
खुर-मुंह पका और मुंहा रोग: बरसात में बढ़ता खतरा
बकरियों में खुरपका -मुंहपका और मुंहा रोग ज्यादा देखने को मिलता है. इस बीमारी में बकरी के मुंह और पैरों में छाले हो जाते हैं. मुंह से ज्यादा लार गिरती है, बकरी लंगड़ाकर चलती है, बुखार आता है और दूध कम हो जाता है. ऐसी स्थिति में बीमार बकरी को तुरंत अलग रखें. छालों को एंटीसेप्टिक दवा से साफ करें और मुंह व खुरों पर बिटाडीन या लोरेक्सन लगाएं. दर्द कम करने की दवा पशु डॉक्टर की सलाह से दें. बचाव के लिए हर 6 महीने में टीकाकरण जरूर कराएं, खासकर मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर में.
सर्दी में निमोनिया और पेट फूलने की आफरा बीमारी
सर्दियों में बकरियों को निमोनिया की समस्या हो जाती है. इसके लक्षण हैं-कंपकंपी, नाक से पानी गिरना, खांसी, बुखार और मुंह खोलकर सांस लेना. इलाज के लिए एंटीबायोटिक 3 से 5 दिन तक दें और बकरी को ठंडी हवा से बचाएं. वहीं आफरा बीमारी में बकरी का पेट खासकर बाईं तरफ से फूल जाता है. बकरी पेट पर पैर मारती है और सांस लेने में दिक्कत होती है. ऐसे में तुरंत चारा-पानी बंद कर दें. खाने का सोडा या टिंपोल पाउडर 15-20 ग्राम दें. घरेलू उपाय के तौर पर प्याज, काला नमक और दही मिलाकर घोल बनाकर पिलाया जा सकता है.
पेट के कीड़े और थनेला से कैसे बचाएं बकरी
पेट के कीड़े बकरियों को धीरे-धीरे कमजोर बना देते हैं. इसके लिए बथुआ खिलाना और छाछ में थोड़ा काला नमक मिलाकर पिलाना फायदेमंद माना जाता है. थनेला बीमारी में थनों में सूजन आ जाती है और दूध में थक्के दिखने लगते हैं. बकरी को बुखार भी हो सकता है. इस दौरान साफ-सफाई का खास ध्यान रखें और थनों में डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक ट्यूब डालें.
आंख, गला और छोटी समस्याएं भी न करें नजरअंदाज
गर्मियों में बकरियों की आंखें आना आम बात है. फिटकरी वाले पानी से आंखें साफ करने पर राहत मिलती है. अगर गले में सूजन दिखे तो वजन के हिसाब से सही दवा दें. कुल मिलाकर, बकरी पालन में रोजाना निगरानी, साफ-सफाई और समय पर इलाज ही सबसे बड़ा उपाय है. सही देखभाल से बकरियां स्वस्थ रहेंगी और किसान की आमदनी भी बनी रहेगी.