पशुओं का दूध निकालते समय छोटी-छोटी गलतियां बनती हैं बड़ी समस्या, जानें सही तरीका

भारत के ग्रामीण इलाकों में गाय और भैंस लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं. दूध उत्पादन सिर्फ जरूरत पूरा करने का जरिया नहीं, बल्कि आमदनी का भी साधन है. लेकिन कई बार सही समय और सही तरीके का ध्यान न रखने से दूध की मात्रा कम हो जाती है और पशुओं की सेहत पर भी असर पड़ता है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 17 Sep, 2025 | 06:45 AM
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गाय-भैंस से अधिक दूध पाने के लिए सही समय और तरीका अपनाना जरूरी है. सुबह दूध निकालना सबसे बेहतर माना जाता है. सफाई, शांति और हल्के हाथों का ध्यान रखकर पशुओं की सेहत भी सुरक्षित रहती है और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. आइए जानते हैं कि दूध निकालने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है और किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

सुबह का समय है सबसे बेहतर

विशेषज्ञों के अनुसार, गाय-भैंस से दूध निकालने का सबसे अच्छा समय सुबह होता है. रातभर आराम और भोजन पचने के बाद सुबह पशुओं के थनों में दूध अच्छे से भर जाता है. सूरज निकलने के थोड़ी देर बाद जब आप दूध निकालते हैं, तो मात्रा भी ज्यादा मिलती है और क्वालिटी भी बेहतर होती है.

शाम के दूध में क्यों आती है कमी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शाम के समय जब आप पशुओं का दूध निकालते हैं, तो यह सुबह की तुलना में कम होता है. इसकी वजह यह है कि दिनभर की थकान और लगातार गतिविधियों से पशुओं के शरीर पर असर पड़ता है. इस थकान का असर उनके दूध पर भी पड़ता है. इसलिए किसान अगर सुबह का समय चुनें तो मुनाफा ज्यादा होगा.

दूध निकालने से पहले सफाई जरूरी

दूध की क्वालिटी और पशु की सेहत दोनों बनाए रखने के लिए थनों की सफाई सबसे जरूरी है. दूध निकालने से पहले हल्के गुनगुने पानी से थनों को धोएं. इससे न केवल थनों की गंदगी दूर होगी बल्कि दूध भी साफ और सुरक्षित रहेगा. थनों की सफाई से संक्रमण की संभावना भी कम हो जाती है.

आरामदायक माहौल दें, तनाव न हो

गाय-भैंस संवेदनशील जानवर होते हैं. दूध निकालते समय अगर आसपास शोर-गुल या असुविधा होगी, तो वे तनाव में आ जाते हैं. तनाव से दूध उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. इसलिए दूध निकालते समय माहौल शांत रखें, पशु को सहलाएं और आरामदायक माहौल बनाएं. ऐसा करने से दूध आसानी से और ज्यादा मात्रा में निकलता है.

सही तकनीक अपनाएं

दूध निकालते समय हमेशा हल्के हाथों से काम करें. थनों को जोर से खींचने या दबाने से नुकसान हो सकता है. थनों में चोट लगने का खतरा रहता है और दूध उत्पादन भी प्रभावित होता है. हल्के दबाव से धीरे-धीरे दूध निकालें. यह पशु के लिए भी आरामदायक होगा और आपके लिए भी आसान.

थनों की सुरक्षा का रखें ध्यान

दूध निकालने के बाद पशुओं के थनों में एंटीसेप्टिक क्रीम लगाना चाहिए. इससे संक्रमण और सूजन का खतरा कम होता है. यह एक छोटी सी आदत है, लेकिन लंबे समय तक पशु की सेहत और दूध की क्वालिटी को बनाए रखती है.

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Published: 17 Sep, 2025 | 06:45 AM
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