मसालों में सीसे की मिलावट पर लगेगी लगाम, कोडेक्स पैनल ने तय की नई सीमा

सीसा एक जहरीली धातु है, जो शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है. खासतौर पर बच्चों में यह मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, सीसे के ज्यादा सेवन से बच्चों का IQ स्तर कम हो सकता है, ध्यान देने की क्षमता घटती है और यह किडनी, हृदय और प्रजनन प्रणाली पर भी बुरा असर डालता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 13 Nov, 2025 | 07:49 AM

food safety: संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानक संस्था कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन (Codex Alimentarius Commission) ने एक बड़ा फैसला लिया है. अब मसालों और हर्ब्स (जड़ी-बूटियों) में सीसे (Lead) की मात्रा 2 mg/kg से ज्यादा नहीं हो सकेगी. वहीं सूखे मसालों जैसे दालचीनी आदि में इसकी सीमा 2.5 mg/kg तय की गई है. यह कदम खाने की सुरक्षा और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उठाया गया है.

यह फैसला कोडेक्स आयोग की रोम में 10 से 14 नवंबर तक चल रही बैठक में लिया गया, जिसमें दुनियाभर से खाद्य विशेषज्ञ और नीति-निर्माता शामिल हुए.

सीसे का असरबच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक

सीसा एक जहरीली धातु है, जो शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है. खासतौर पर बच्चों में यह मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, सीसे के ज्यादा सेवन से बच्चों का IQ स्तर कम हो सकता है, ध्यान देने की क्षमता घटती है और यह किडनी, हृदय और प्रजनन प्रणाली पर भी बुरा असर डालता है.

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने कहा कि हालांकि मसालों की मात्रा हमारे भोजन में बहुत कम होती है, फिर भी यह जरूरी है कि उनमें सीसे की मात्रा पर नियंत्रण रखा जाए ताकि उपभोक्ताओं की सुरक्षा बनी रहे और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में निष्पक्षता बनी रहे.

मूंगफली में अफ्लाटॉक्सिन रोकने के लिए नया कोड ऑफ प्रैक्टिस

कोडेक्स पैनल ने मूंगफली (Groundnuts) में अफ्लाटॉक्सिन को रोकने के लिए कोड ऑफ प्रैक्टिस (CoP) को भी अपडेट किया है. अफ्लाटॉक्सिन एक खतरनाक लिवर कार्सिनोजन है, यानी यह लिवर कैंसर का सबसे बड़ा कारण बन सकता है.

अब नए दिशा-निर्देशों में खेती से लेकर फसल की कटाई, भंडारण और निर्माण तक के हर चरण में अफ्लाटॉक्सिन को कम करने के उपाय बताए गए हैं. इसमें बताया गया है कि कैसे मूंगफली को नमी और फफूंद से बचाकर उसकी गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है.

पिछली बार यह कोड लगभग 20 साल पहले तैयार किया गया था, लेकिन अब नई वैज्ञानिक जानकारी और तकनीक को जोड़ते हुए इसे और मजबूत बनाया गया है.

कीटनाशक जांच में मिलेगी राहत

खाद्य सुरक्षा मानक तय करने वाले इस पैनल ने एक और अहम निर्णय लिया है. अब प्रयोगशालाओं में कीटनाशक अवशेषों (Pesticide Residues) की जांच के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रेफरेंस मटीरियल्स को उनकी एक्सपायरी डेट के बाद भी उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी. इससे लैब की लागत कम होगी और बेकार होने वाले सैंपल की बर्बादी भी घटेगी.

खजूर के व्यापार को लेकर भी नया मानक

कोडेक्स आयोग ने ताजे खजूर (Dates) के लिए भी नया मानक तय किया है. पिछले 10 वर्षों से इस पर काम चल रहा था, क्योंकि दुनिया भर में खजूर का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है.

नए मानक का मकसद है कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और गुणवत्ता-युक्त खजूर मिलें. इसके लिए गुणवत्ता, आकार, रंग, पैकिंग और एकरूपता जैसे कई मापदंड तय किए गए हैं. इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भरोसा बढ़ेगा और देशों के बीच व्यापार और आसान होगा.

स्वच्छ भोजन की दिशा में बड़ा कदम

कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन का यह फैसला दुनिया के लिए खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है. मसालों और हर्ब्स में सीसे की मात्रा सीमित करने से न केवल सेहत पर सकारात्मक असर पड़ेगा, बल्कि किसानों और निर्यातकों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरें. यह निर्णय साबित करता है कि अब खाद्य सुरक्षा सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि हर देश की जिम्मेदारी बन गई है.

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