गाय और मवेशियों का पालन हमारे देश में न केवल पारंपरिक व्यवसाय है, बल्कि यह लाखों परिवारों की आजीविका का जरिया भी है. दूध और उसके उत्पादों के माध्यम से किसान परिवारों का जीवन चलता है, वहीं डेयरी उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है. लेकिन कई बार पशुपालकों की परेशानियों में से एक गंभीर समस्या होती है– गाय में गर्भपात यानी अबॉर्शन. यह न केवल पशु को प्रभावित करता है, बल्कि किसान की आमदनी और जीवन पर भी असर डालता है. आज हम आपको अबॉर्शन के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार की पूरी जानकारी देंगे.
गर्भपात क्या है और इसके कारण
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गर्भपात का मतलब है गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का समय से पहले खत्म हो जाना. इसके कई कारण हो सकते हैं. संक्रामक कारणों में ब्लू टंग वायरस, बीवीडी वायरस, ब्रूसिला, कैम्पिलोबैक्टर और IBR, क्लैमाइडिया, लेप्टोस्पाइरा, लिस्टेरिया, ट्राइकोमोनास, नियोस्पोरा शामिल हैं. गैर–संक्रामक कारणों में आनुवंशिक दोष, पोषण और विटामिन–खनिजों की कमी शामिल हैं. पर्यावरणीय कारणों में अत्यधिक गर्मी या ठंड, दुर्घटना या आघात आते हैं. इसके अलावा, जहरीले पौधे, कीटनाशक या गलत आहार भी गर्भपात का कारण बन सकते हैं. ये सभी कारक मवेशियों के प्रजनन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं.
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लक्षण और निदान
गर्भपात का पता आमतौर पर गर्भावस्था के निरीक्षण से लगाया जाता है. पशु चिकित्सक प्रति-रेक्टल जांच, अल्ट्रासोनोग्राफी और रक्त प्रोजेस्टेरोन स्तर की जाँच के माध्यम से निदान करते हैं. किसान स्वयं भी गर्भपात की शुरुआती संकेतों को पहचान सकते हैं.
उपचार और देखभाल
गायों को गर्भधारण से पहले से ही विशेष देखभाल और पोषण देना बहुत जरूरी है. उन्हें संक्रमण फैलाने वाले पशुओं के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए और चराई में केवल सुरक्षित तथा पोषक तत्वों वाले पौधे खिलाना चाहिए. चिकित्सा सहायता सिर्फ दवाओं तक सीमित नहीं है, इसमें पोषण, पूरक, जीवनशैली सुधार और नियमित देखभाल भी शामिल है. संतुलित आहार से मवेशियों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और गर्भपात की संभावना कम हो जाती है. यह उपाय न केवल गर्भधारण सुरक्षित बनाते हैं बल्कि गाय की संपूर्ण सेहत और दूध उत्पादन को भी बेहतर बनाते हैं.
आहार और पोषण
गर्भधारण के दौरान पशुओं को उच्च गुणवत्ता वाला चारा और पोषण देना बेहद जरूरी है. इसमें पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा शामिल होने चाहिए. साथ ही आवश्यक खनिज जैसे लोहा, कैल्शियम, सेलेनियम और फैटी एसिड, विटामिन A व E भी देना चाहिए. संतुलित आहार से मवेशियों की प्रजनन क्षमता सुरक्षित रहती है और दूध उत्पादन में सुधार आता है. यह न केवल गर्भधारण को सुरक्षित बनाता है बल्कि पशु की संपूर्ण सेहत और विकास में भी मदद करता है.
अबोर्टिगो–आधुनिक समाधान
अबोर्टिगो एक होम्योपैथिक पशु चिकित्सा उत्पाद है, जो गायों में गर्भपात के किसी भी अंतर्निहित कारण को रोकने में मदद करता है. यह हार्मोन को उत्तेजित कर गर्भाशय की मांसपेशियों को पोषण देता है और प्रमुख संक्रामक रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. अबोर्टिगो का नियमित उपयोग भ्रूण और माता दोनों की सुरक्षा करता है और बिना किसी साइड इफेक्ट के सुरक्षित उपचार प्रदान करता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसका उपयोग करने से गायों में गर्भपात की दर में कमी और दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं.