खेत में तालाब बनाकर करें मछली पालन, कम मेहनत में होगी अच्छी कमाई
खेती के साथ मछली पालन कर किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. फॉर्म पॉन्ड में कम लागत और सरकारी सब्सिडी के सहारे मछली पालन करना आसान है. बारिश का पानी इस्तेमाल कर खेती और मछली दोनों में मुनाफा होता है.
खेती अब सिर्फ अनाज उगाने तक सीमित नहीं रह गई है. आज किसान नई-नई तकनीकों और तरीकों को अपनाकर खेती से ज्यादा कमाई कर रहे हैं. ऐसा ही एक तरीका है- फॉर्म पॉन्ड यानी खेत में तालाब बनाकर मछली पालन करना. यह काम ना तो ज्यादा मेहनत वाला है और ना ही इसमें कोई बहुत बड़ी लागत आती है. कई किसान इस मॉडल को अपनाकर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. खास बात ये है कि सरकार की तरफ से इसमें सब्सिडी भी मिलती है.
फॉर्म पॉन्ड में मछली पालन से सीजन भर में लाखों की कमाई
खाली पड़ी जमीन में तालाब बनाकर उसमें मछली पालन करना एक शानदार विकल्प बनकर सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक एकड़ के फॉर्म पॉन्ड में सालभर में करीब 30 से 40 क्विंटल मछली तैयार की जा सकती है. इनमें रोहू, कतला, झींगा जैसी मछलियों की बाजार में अच्छी मांग होती है. लोकल मंडियों में मछली का रेट 150 से 300 रुपये प्रति किलो तक जाता है. यानी अगर सही तरीके से मछली पालन किया जाए तो एक सीजन में लाखों रुपये की कमाई मुमकिन है.
कम लागत और कम मेहनत में चल सकता है ये धंधा
मछली पालन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें खर्च और मेहनत दोनों कम लगते हैं. तालाब में बारिश का पानी इकट्ठा करके उसका उपयोग किया जा सकता है, जिससे पानी की समस्या नहीं आती.
- पशुपालकों के लिए रोजगार का नया मौका, केवल दूध ही नहीं ऊंट के आंसुओं से भी होगी कमाई
- बरसात में खतरनाक बीमारी का कहर, नहीं कराया टीकाकरण तो खत्म हो जाएगा सब
- पशुपालक इन दवाओं का ना करें इस्तेमाल, नहीं तो देना पड़ सकता है भारी जुर्माना
- 2000 रुपये किलो बिकती है यह मछली, तालाब में करें पालन और पाएं भारी लाभ
- मछलियों को दिन में दो बार दाना डालना होता है.
- तालाब के आसपास बत्तख पालन भी किया जा सकता है, जिससे मछलियों के लिए प्राकृतिक खाद बनती है.
- खेत की जमीन का भी बेहतर उपयोग होता है और आय के दो स्रोत तैयार हो जाते हैं.
- कुल मिलाकर, किसान कम संसाधनों में भी इस काम को आसानी से शुरू कर सकता है.
सरकार देती है सब्सिडी, पॉन्ड बनवाना हुआ आसान
राजस्थान समेत कई राज्यों में सरकार किसानों को खेत में फॉर्म पॉन्ड बनवाने के लिए सब्सिडी देती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे लागत काफी हद तक कम हो जाती है और किसान की जेब पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ता.
- सब्सिडी मिलने पर खुद का हिस्सा कम देना पड़ता है.
- तालाब का पानी खेत की सिंचाई में भी इस्तेमाल होता है.
- बूंद-बूंद सिंचाई तकनीक अपनाकर किसान खेती और मछली पालन दोनों काम एक साथ कर सकते हैं.
- ये सब चीजें मिलकर किसान की आमदनी को और मजबूत बनाती हैं.
खेती के साथ मछली पालन से दोगुनी आमदनी का रास्ता
जो किसान सिर्फ परंपरागत खेती कर रहे हैं, उनके लिए यह मॉडल एक नई उम्मीद लेकर आया है. एक ही जमीन पर खेती भी की जा सकती है और मछली पालन भी. इससे जोखिम भी कम होता है और आमदनी दोगुनी होने के पूरे चांस बनते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मछली पालन में नुकसान का खतरा बहुत कम होता है, खासकर तब जब सही तकनीक और बाजार से जुड़ाव बना लिया जाए. मछली की डिमांड हर मौसम में बनी रहती है, जिससे बिक्री में कोई रुकावट नहीं आती.