आज के समय में किसान और पशुपालक अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अलग-अलग जानवरों का पालन कर रहे हैं. गाय और भैंस के अलावा मुर्गी और मछली पालन जैसे विकल्प आम हैं. लेकिन क्या आपने कभी मगरमच्छ पालन के बारे में सुना है? जी हां, विदेशों में अब यह एक धंधा बन चुका है, जो कुछ ही महीनों में भारी मुनाफा दिला रहा है. मगरमच्छ पालन से लोग न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि इससे जुड़े उत्पादों से करोड़ों की कमाई भी कर रहे हैं. हालांकि, में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मगरमच्छ पालन भारत में प्रतिबंधित है.
मगरमच्छ पालन कहां होता है?
मगरमच्छ पालन का सबसे बड़ा केंद्र थाईलैंड है. यहां के किसान अजीब और अनोखे जानवर पालना पसंद करते हैं ताकि उन्हें अच्छा मुनाफा मिल सके. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाईलैंड में 12 लाख से अधिक मगरमच्छ पालने वाले हैं. यहां लगभग 1000 से अधिक फॉर्म हैं, जो इनकी देखभाल करते हैं. कई फॉर्म तो कई सालों से मगरमच्छ पालन कर रहे हैं और अब करोड़ों की कमाई कर रहे हैं.
मगरमच्छ पालन का मुख्य उद्देश्य
मगरमच्छ पालन का मुख्य कारण उनकी कीमती स्किन, मीट और ब्लड है. इनका बाजार में बहुत मूल्य है. मगरमच्छ का पित्त औषधीय गुणों से भरपूर होता है और इसका दाम करीब 75,000 रुपये प्रति किलो है. वहीं, मगरमच्छ का मीट भी लोगों को बहुत पसंद आता है और यह कई देशों में निर्यात होता है. इसलिए किसान और पशुपालक इसे एक लाभकारी धंधा मानते हैं.
मगरमच्छ की त्वचा से बनते हैं महंगे उत्पाद
मगरमच्छ की त्वचा से कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. इनमें हैंडबैग, बेल्ट, जूते, लेदर सूटकेस और अन्य फैशन आइटम शामिल हैं. इनकी कीमत बहुत अधिक होती है क्योंकि मगरमच्छ की स्किन मजबूत, टिकाऊ और आकर्षक होती है. इस वजह से लोग इन उत्पादों को खरीदने के लिए तैयार रहते हैं. यह व्यवसाय खासकर फैशन और लक्जरी आइटम की मार्केट में काफी मुनाफेदार साबित हो रहा है.
मगरमच्छ से बने औषधीय उत्पाद
मगरमच्छ का पालन सिर्फ स्किन और मीट के लिए नहीं, बल्कि औषधीय कारणों से भी किया जाता है. इसके ब्लड, पित्त और अन्य अंगों से कई तरह की दवाइयां और औषधीय उत्पाद बनाए जाते हैं. इनका इस्तेमाल शरीर की बीमारियों के इलाज और स्वास्थ्य सुधार में किया जाता है. थाईलैंड और अन्य देशों में इन औषधियों की मांग लगातार बढ़ रही है. इस कारण मगरमच्छ पालन करने वाले लोग अच्छे दाम पर अपने उत्पाद बेच सकते हैं.