अब मछली पालन से दोगुनी नहीं बल्कि तीन गुनी होगी कमाई, बस तालाब की मेढ़ पर लगा दें ये पौधे
किसान तालाब किनारे अरहर और पपीता उगा कर मछली पालन से अतिरिक्त आय बढ़ा सकते हैं. तालाब की प्राकृतिक नमी और उपजाऊ मिट्टी फसल की उर्वरता बढ़ाती है. यह एकीकृत कृषि मॉडल छोटे और मध्यम किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है.
Fish Farming: देश में मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. कई राज्यों में मछली पालन से किसानों को लाखों में कमाई हो रही है. लेकिन अगर मछली पालक चाहें, तो उतनी ही जमीन में अपनी कमाई को और बढ़ा सकते हैं. इसके लिए उन्हें ज्यादा मेहनत और खर्च करने की भी जरूरत नहीं है. बस उन्हें तालाब के किनारों पर दलहन और कुछ फलदार पेड़ लगाने होंगे. सालभर में ही मछली पालकों की कमाई तीन गुनी तक बढ़ सकती है. वे मछली के साथ-साथ फल और दाल बेचकर अतिरिक्त कमाई कर पाएंगे.
दरअसल, मछली पालक अक्सर तालाब की खुदाई कराते समय उसके चारों ओर की मेढ़ या जमीन खाली छोड़ देते हैं. लेकिन कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मछली पालक या किसान इस खाली पड़ी जीमन का भी इस्तेमाल करके अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. यानी किसान मछली पालन के साथ तालाब के किनारों पर अरहर और पपीते की खेती भी कर सकते हैं. इस तरह उन्हें ट्रिपल कमाई होगी.
उपजाऊ मिट्टी पर अरहर की खेती बहुत अच्छा विकल्प है
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, तालाब की उपजाऊ मिट्टी पर अरहर की खेती बहुत अच्छा विकल्प है. अरहर को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती और तालाब की प्राकृतिक नमी से यह आसानी से बढ़ जाती है. इसकी गहरी जड़ें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं और तालाब की मेढ़ को भी मजबूत बनाती हैं. बाजार में अरहर दाल की बढ़ती मांग और अच्छी कीमत को देखते हुए, यह मछली पालकों के लिए बिना ज्यादा खर्च के अच्छी आमदनी का साधन बन सकती है.
सरकार दे रही है 70 फीसदी सब्सिडी
अगर किसान चाहें, तो अरहर के साथ-साथ तालाब के मेढ़ पर पपीते की खेती भी कर सकते हैं. पपीता जल्दी फल देने वाली फसल है और इसकी देखभाल करना भी आसान है. खास बात यह है कि अभी बिहार के सहरसा जिले में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए जिला उद्यान विभाग पपीता की खेती पर 70 फीसदी तक सब्सिडी दे रहा है, जिससे शुरुआती निवेश लागत बहुत कम हो जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार, तालाब के किनारे की मिट्टी जैविक रूप से समृद्ध होती है, जिससे पपीते की गुणवत्ता और मिठास बाजार में मिलने वाले सामान्य फलों से कहीं बेहतर होती है.
किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा मॉडल
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह एकीकृत कृषि मॉडल छोटे और मध्यम किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. एक ही जमीन के टुकड़े से किसान मछली, दाल और फल तीनों उगा सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं. तालाब का पानी और वहां की नमी इन फसलों के लिए प्राकृतिक खाद और सिंचाई का काम करती है. अगर किसान सरकार की योजनाओं का फायदा उठाकर यह मॉडल अपनाएं, तो उन्हें न सिर्फ बाहर नौकरी की तलाश नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि वे दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम होंगे.