50 हजार मछलियों के लिए नाले में कूदा विभाग! रोचक है किसानों की टिप्पणी

Fish Farming: मछली पालन के लिए कई योजनाएं चलाने वाली हिमाचल प्रदेश सरकार का मत्स्य विभाग काफी एक्टिव है. राहेरा नाले में फंसी 50 हजार से अधिक मछलियों के बच्चों (फिश सीड) को बचाने के लिए विभागीय अमला जुट गया. किसानों और स्थानीय लोगों की मदद के बाद रेस्क्यू में सफलता मिली.

नोएडा | Published: 14 Nov, 2025 | 01:36 PM

Fish Seeds: मछलियों के 50 हजार बच्चों यानी फिश सीड के लिए मत्स्य विभाग ने पूरा जोर लगा दिया और नाले से उन्हें सुरक्षित निकाल लिया. इस पर किसानों ने टिप्पणी करते हुए विभाग की सराहना की है. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में राहेरा नाले में 50 हजार मछलियों के बच्चे फंसे होने की सूचना पर मत्स्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कई कर्मचारियों और मजदूरों के साथ नाले में जाल लगाकर मरने की कगार पर पहुंची छोटी मछलियों को बचा लिया.

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के मत्स्य पालन विभाग को सूचना मिली की तहसील धर्मपुर के संधोल क्षेत्र में राहेरा नाले में भारी संख्या में मछलियां देखी जा रही हैं, जो मरने वाली हैं. कुछ मछलियों को पानी के ऊपर उतराते देखा गया. स्थानीय किसानों और ग्रामीणों ने विभाग को बताया कि नाले में पानी कम है और बहाव ठहरा हुआ है. अगर इन मछलियों को निकाला नहीं गया तो ये मर जाएंगी.

50 हजार मछलियों के बच्चे बचाने में सफलता मिली

मत्स्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कई कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर मछलियों को बचाना शुरू किया. सरकारी बयान में विभाग ने कहा कि राहेरा नाले के स्थिर पानी में फंसी लगभग 50 हजार मछलियों के बच्चों (फिश फ्राई) को सुरक्षित बचाया गया है. स्थानीय लोगों से सूचना मिलते ही महशीर फार्म मच्छयाल के उप निरीक्षक मत्स्य के नेतृत्व में विभागीय टीम तुरंत मौके पर पहुंची और फंसी हुई मछलियों को सावधानीपूर्वक पास के ताजे बहते जल स्रोत में स्थानांतरित किया.

मछलियों में बीमारी के संक्रमण का खतरा

सहायक निदेशक मत्स्य नीतू सिंह ने कहा कि त्वरित कार्रवाई के चलते हजारों मछलियों के बच्चों को बचाना संभव हो सका है. उन्होंने कहा कि मछलियों अभी दूसरे जलस्रोत में रखा गया है. कुछ दिन उनके स्वास्थ्य की निगरानी रखी जाएगी. क्योंकि, संक्रमित पानी और कुछ मरी मछलियों से जीवित मछलियों में बीमारी के संक्रमण का खतरा है. विभाग की ओर से कहा गया कि गंदे पानी और पानी में ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियों पर मरने का खतरा था.

मछली संरक्षण का लाभ पा रहे किसान

सहायक निदेशक ने कहा कि इस तरह के प्रयास न केवल मत्स्य संसाधनों के संरक्षण में सहायक होते हैं, बल्कि प्राकृतिक जलीय इकोसिस्टम के संतुलन को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने स्थानीय लोगों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि समय पर दी गई सूचना एवं सक्रिय भागीदारी से यह कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो पाया. उन्होंने कहा कि मछली संरक्षण और पालन के लिए राज्य सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है, जिसका लाभ किसानों को दिया जा रहा है.

किसानों ने बताया 5 लाख रुपये का फिश सीड बचाया

स्थानीय लोगों और किसानों ने कहा कि उनकी सूचना के बाद मत्स्य विभाग ने तेजी दिखाते हुए मछलियों को सुरक्षित रखने का प्रयास किया और बचाई गई मछलियों को दूसरे बड़े जलस्रोत में डाला गया है. किसानों ने त्वरित कार्रवाई के लिए मत्स्य विभाग का आभार जताया. स्थानीय लोगों के अनुसार इन मछली के बच्चों की औसतन कीमत 5 लाख रुपये से अधिक है. क्योंकि, मछलीपालन के लिए एक बच्चा 10-15 रुपये का मिलता है.

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