अगले 5 साल में खत्म हो जाएगा खुरपका-मुंहपका रोग! पशुओं को 114 करोड़ टीके लगे

खुरपका मुंहपका बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए देशभर में मुफ्त टीकाकरण अभियान चल रहा है. केंद्रीय आंकड़ों के अनुसार सरकार अब तक 114.56 करोड़ से अधिक खुरपका-मुंहपका रोग (FMD) के टीके पशुओं को लगाए गए हैं.

नोएडा | Updated On: 29 May, 2025 | 04:06 PM

देश में पशुपालकों के लिए खुरपका और मुंहपका (FMD) बीमारी सबसे बड़ी परेशानी का कारण बनती है. इसकी बीमारी की वजह से पशु की मौत भी हो जाती है. इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार देशभर में 2019 से मुफ्त टीकाकरण अभियान चला रही है.  तब अब तक इस बीमारी के मामलों में 60 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है. जबकि, सरकार का टारगेट है कि अगले 5 साल में यानी 2023 तक खुरपका और मुंहपका को जड़ से खत्म कर देंगे. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने पशु चिकित्सकों को ‘ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया.

देश में 536 मिलियन से अधिक पशुधन

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने पशु चिकित्सकों को ‘ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय जैव सुरक्षा की रीढ़’ बताया. उन्होंने कहा कि भारत में 536 मिलियन से अधिक पशुधन हैं, जो विश्व में सबसे अधिक है और लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवार पशुओं पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर हैं. इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वस्थ पशुओं के बिना स्वस्थ भारत की कल्पना संभव नहीं है. उन्होंने पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, कौशल विकास में तेजी और देश की पशु स्वास्थ्य प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया.

114.56 करोड़ पशुओं का टीकाकरण

प्रो. बघेल ने पशु चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच सहयोग की अहमियत पर जोर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) की प्रगति का जिक्र करते हुए बताया कि अब तक 114.56 करोड़ से अधिक खुरपका-मुंहपका रोग के टीके और 4.57 करोड़ ब्रुसेलोसिस टीके लगाए जा चुके हैं. सरकार का लक्ष्य 2025 तक एफएमडी नियंत्रण और 2030 तक उन्मूलन है.

देशी नस्लों के संरक्षण और तकनीक का जोर

देशी नस्लों के संरक्षण और उन्नत तकनीकों जैसे 100 प्रतिशत आईवीएफ (विट्रो फर्टिलाइजेशन) अपनाने पर भी जोर दिया गया. प्रो. बघेल ने कहा कि स्वदेशी नस्लें जलवायु अनुकूलन और टिकाऊ उत्पादन प्रणाली के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने डिजिटल पशुधन मिशन (भारत पशुधन) जैसी पहलों के जरिये निगरानी और बीमारी का त्वरित पता लगाने की क्षमता बढ़ाने पर भी बल दिया.

टीकाकरण अभियानों पर जोर

पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) की सचिव अलका उपाध्याय ने पशु चिकित्सा शिक्षा, सुविधाओं और व्यावहारिक प्रशिक्षण को मजबूत करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भारत आज आईवीएफ, सेक्स-सॉर्टेड वीर्य और टीकाकरण तकनीकों में आत्मनिर्भर बन रहा है साथ ही जूनोटिक बीमारियों के खतरे से निपटने के लिए निगरानी और समन्वित टीकाकरण अभियानों पर जोर दिया.  जनरल मेडिसिन के सस्ते विकल्पों, जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम, एकीकृत रोग निगरानी, और मानव-पशु स्वास्थ्य डेटा साझा करने जैसे विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए.

Published: 27 Apr, 2025 | 06:08 PM