शीतलहर में पशुओं की सेहत कैसे बचाएं? बिहार सरकार ने बताए आसान और जरूरी उपाय
शीत लहर के दौरान पशुओं की सही देखभाल बेहद जरूरी है. बिहार सरकार ने पशुपालकों के लिए आसान और उपयोगी सुझाव जारी किए हैं. समय पर दवा, टीकाकरण, सही जगह और संतुलित खान-पान से पशुओं को ठंड से बचाया जा सकता है और नुकसान से राहत मिल सकती है.
Cold Wave Advisory : जैसे ही सर्द हवाएं तेज होती हैं और शीत लहर चलने लगती है, वैसे ही इंसानों के साथ-साथ पशुओं की परेशानी भी बढ़ जाती है. गांवों में अक्सर देखा जाता है कि ठंड के मौसम में पशु सुस्त हो जाते हैं, खाना कम खाते हैं और बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसी को देखते हुए बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के पशुपालन निदेशालय ने शीत लहर के दौरान पशुओं की देखभाल और बचाव को लेकर जरूरी सुझाव जारी किए हैं. इन आसान उपायों को अपनाकर पशुपालक अपने पशुओं को ठंड से सुरक्षित रख सकते हैं और नुकसान से बच सकते हैं.
ठंड से पहले दवा और टीकाकरण है सबसे जरूरी
पशुपालन निदेशालय के अनुसार, सर्दी शुरू होने से पहले ही पशुओं को कीड़ा मारने वाली दवा जरूर दे देनी चाहिए. इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं और पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है. इसके साथ-साथ खुरपका-मुंहपका, पीपीआर और इन्टेरोटॉक्सिमिया जैसे खतरनाक रोगों के खिलाफ टीकाकरण भी जरूरी है. ठंड में ये बीमारियां तेजी से फैलती हैं, इसलिए पहले से बचाव करना ही समझदारी है.
पशुओं को रखें सूखे और धुआं-रहित स्थान पर
शीत लहर के समय पशुओं को खुले या नमी वाले स्थानों पर रखना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है. विभाग का कहना है कि पशुओं को हमेशा सूखे, साफ और धुआं-रहित स्थान पर रखें. कई बार ठंड से बचाने के लिए लोग बंद कमरे में आग जलाते हैं, जिससे धुआं भर जाता है और पशुओं को सांस की समस्या हो सकती है. इसलिए हवा के निकलने का रास्ता जरूर रखें और फर्श पर पुआल या सूखा बिछावन डालें, ताकि ठंड जमीन से सीधे पशु के शरीर में न लगे.
खान-पान में थोड़ी सावधानी, सेहत रहेगी मजबूत
ठंड के मौसम में पशुओं की ऊर्जा की जरूरत बढ़ जाती है. ऐसे में उन्हें संतुलित और पौष्टिक आहार देना जरूरी है. पशुपालन निदेशालय के अनुसार, हरा चारा कम मिलने पर सूखा चारा अच्छी गुणवत्ता का दें और गुनगुना पानी पिलाने की कोशिश करें. ठंडा पानी सीधे पिलाने से पशु बीमार पड़ सकता है. अगर पशु कम खा रहा है या सुस्त दिख रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें.
बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत करें इलाज
अगर शीत लहर के दौरान पशु को बुखार, खांसी, नाक से पानी आना, भूख न लगना या दूध उत्पादन में अचानक कमी दिखे, तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है. ऐसे में देरी करना नुकसानदायक हो सकता है. विभाग की सलाह है कि तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक या पशु अस्पताल से संपर्क करें. समय पर इलाज से पशु जल्दी ठीक होता है और बड़ा नुकसान होने से बच जाता है. बिहार सरकार का साफ कहना है कि थोड़ी सी सावधानी और समय पर देखभाल से शीत लहर के दौरान भी पशुओं को स्वस्थ रखा जा सकता है. स्वस्थ पशु ही बेहतर दूध और बेहतर आमदनी की गारंटी हैं.