Dairy Farming: पशुपालकों की बढ़ेगी आमदनी! दूध निकालने से पहले अपनाएं ये खास तरीका

Milk Production Tips: बिहार सरकार ने पशुपालकों को स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं. हाथों, बर्तनों और थनों की सफाई, पहली धार अलग करने और नियमित जांच से दूध की गुणवत्ता बढ़ेगी और किसानों की आमदनी में सुधार होगा.

नोएडा | Updated On: 4 Nov, 2025 | 11:00 PM

Dairy Farming : अगर आप डेयरी फार्मिंग करते हैं या घर में गाय-भैंस पालते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद उपयोगी है. कई बार छोटी-छोटी लापरवाहियां दूध की गुणवत्ता को बिगाड़ देती हैं और यही बात आपकी कमाई पर असर डालती है. अब बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय ने पशुपालकों के लिए कुछ खास दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिन्हें अपनाकर किसान स्वच्छ दूध तैयार कर सकते हैं और अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं.

दूध दुहने से पहले रखें अपनी सफाई पर ध्यान

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दूध दुहने की प्रक्रिया  में सबसे अहम है साफ-सफाई. पशुपालक को दूध दुहने से पहले अपने हाथों और शरीर को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए. इसके साथ सिर को साफ कपड़े या टोपी से ढकना चाहिए ताकि बाल या धूल दूध में न गिरें. यह साधारण सा नियम दूध की शुद्धता बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है.

पहली धार कभी न रखें उपयोग में

दूध दुहाई की शुरुआत में हर थन की पहली धार को जमीन पर गिरा देना चाहिए. यह धार थन की नली में जमी गंदगी और बैक्टीरिया  को बाहर निकालती है. अगर इसे सीधे दूध के बर्तन में डाल दिया जाए, तो सारा दूध दूषित हो सकता है. इसलिए हमेशा याद रखें- पहली धार बाहर, बाकी दूध बाजार के लायक.

थनों और बर्तनों की सफाई बेहद जरूरी

दूध दुहने से पहले और बाद में थनों की सफाई करनी चाहिए. पहले साफ पानी से धोएं, फिर हल्के जीवाणुनाशक घोल से पोंछें. इसके बाद किसी सूखे कपड़े से थनों को साफ करें. इसी तरह दूध रखने वाले बर्तन भी पूरी तरह स्टेनलेस स्टील के और साफ-सुथरे होने चाहिए. गंदे बर्तन से दूध में खराबी आ सकती है.

दुहते समय पूंछ बांधना न भूलें

दूध दुहने के दौरान पशु की पूंछ  को हल्के से पीछे बांध देना चाहिए ताकि वह दूध दुहने वाले व्यक्ति को न मारे या दूध में गंदगी न फैलाए. कई बार पूंछ हिलाने से मिट्टी या मक्खी सीधे दूध के बर्तन में चली जाती है, जिससे दूध खराब हो सकता है.

थनैला जांच और पशु स्वास्थ्य पर दें ध्यान

थनैला (Mastitis) एक आम रोग है जो दूध की गुणवत्ता  और मात्रा दोनों को घटा देता है. इसलिए हर पशुपालक को समय-समय पर थनैला जांच करवानी चाहिए. थनैला पेपर या पशु चिकित्सक की मदद से जांच कर रोग का पता लगाएं और तुरंत इलाज कराएं. इससे पशु स्वस्थ रहेगा और दूध उत्पादन भी बेहतर रहेगा.

सरकार की पहल से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

सरकार का कहना है कि इन दिशा-निर्देशों का पालन करने से न केवल दूध की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि बाजार में स्वच्छ दूध की मांग भी बढ़ेगी. इससे पशुपालकों की आमदनी में सीधी बढ़ोतरी होगी. स्वच्छ दूध उत्पादन  से राज्य का दुग्ध व्यवसाय और भी मजबूत होगा और उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध मिलेगा.

Published: 5 Nov, 2025 | 06:45 AM

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