गाय-भैंस अचानक नहीं दे रही दूध? जानिए इसके पीछे के कारण और सही उपाय

जब कोई गाय या भैंस ठीक से दूध नहीं देती, तो किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. बहुत से पशुपालक इस समस्या का सामना करते हैं कि पशु दूध तो देता है, लेकिन पूरा दूध नहीं उतरता या कई बार बिल्कुल ही नहीं उतरता. इससे न केवल दूध की मात्रा कम होती है, बल्कि पशु की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है.

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नई दिल्ली | Published: 1 Nov, 2025 | 02:21 PM
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Dairy Farming: दूध किसी भी डेयरी किसान के लिए आय का सबसे बड़ा साधन होता है. जब कोई गाय या भैंस ठीक से दूध नहीं देती, तो किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. बहुत से पशुपालक इस समस्या का सामना करते हैं कि पशु दूध तो देता है, लेकिन पूरा दूध नहीं उतरता या कई बार बिल्कुल ही नहीं उतरता. इससे न केवल दूध की मात्रा कम होती है, बल्कि पशु की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. तो चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण.

दूध न उतरने की आम वजहें

दूध का न उतरना केवल एक साधारण समस्या नहीं, बल्कि कई कारणों से जुड़ा होता है.

हार्मोनल असंतुलन: गाय या भैंस के शरीर में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन दूध के प्रवाह को नियंत्रित करता है. जब इसका संतुलन बिगड़ता है, तो दूध उतरने में दिक्कत होती है.

बछड़े की अनुपस्थिति या मृत्यु: कई बार बछड़े की मौत या दूर होने से मां पशु भावनात्मक तनाव में आ जाती है और दूध रोक लेती है.

तनाव और डर: तेज आवाज, अपरिचित माहौल या गलत तरीके से दुहने पर पशु घबरा जाता है. इस डर की वजह से दूध की मात्रा घट जाती है.

गलत खान-पान और पोषण की कमी: अगर पशु को संतुलित आहार नहीं मिलता या उसमें खनिजों की कमी है, तो उसका शरीर कमजोर पड़ जाता है, जिससे दूध उत्पादन पर असर पड़ता है.

बीमारी या संक्रमण: मास्टाइटिस (थनैला) जैसी बीमारियां थनों में दर्द और सूजन पैदा करती हैं, जिससे दूध का प्रवाह रुक सकता है.

गलत दुहने की तकनीक: अगर दुहाई नियमित न हो या गलत तरीके से की जाए, तो पशु असहज महसूस करता है और धीरे-धीरे दूध रोक देता है.

दूध न उतरने की समस्या का सही समाधान

पशु को तनावमुक्त रखें

दूध उतारने की प्रक्रिया में सबसे अहम है पशु का शांत और आरामदायक रहना. दुहाई के समय तेज आवाज, भीड़ या अचानक माहौल बदलना पशु को घबरा सकता है. कोशिश करें कि दुहने की जगह शांत, साफ और परिचित हो. पशु से प्यार से व्यवहार करें, क्योंकि डर या गुस्सा दूध के प्रवाह को रोक सकता है.

संतुलित आहार दें

पशु का खान-पान सीधे तौर पर दूध की मात्रा को प्रभावित करता है. चारा, हरा चारा, खनिज मिश्रण और साफ पानी हमेशा पर्याप्त मात्रा में दें. अगर पशु के आहार में प्रोटीन या खनिजों की कमी है, तो दूध उत्पादन में गिरावट आती है. संतुलित पोषण पशु के हार्मोन संतुलन को भी बनाए रखता है.

बछड़े की उपस्थिति जरूरी है

कई बार गाय या भैंस अपने बछड़े के बिना दूध नहीं छोड़ती. ऐसे में बछड़े को पास लाना या उसकी आवाज सुनाना भी दूध उतरने में मदद करता है. यदि बछड़ा नहीं है, तो किसान उसकी त्वचा या गंध का उपयोग कर सकता है, जिससे मां पशु को भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस होता है.

सही दुहने की तकनीक अपनाएं

गलत या असमय दुहने से पशु को दर्द हो सकता है, जिससे वह दूध रोक लेता है. हमेशा नरमी और नियमितता से दुहाई करें. सुबह-शाम तय समय पर दुहना दूध उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.

थनों की सफाई और स्वास्थ्य का ध्यान रखें

दुहने से पहले और बाद में थनों को गुनगुने पानी से साफ करें. इससे संक्रमण से बचाव होता है. यदि थनों में सूजन, दर्द या लालिमा दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लें.

प्राकृतिक उपाय या सुरक्षित दवाओं का उपयोग करें

अगर फिर भी दूध नहीं उतर रहा है, तो कृत्रिम हार्मोन इंजेक्शन की जगह प्राकृतिक और सुरक्षित उत्पादों का उपयोग करें. यह पशु को शांत रखता है, थनों की सेहत को बेहतर बनाता है और दूध की मात्रा बढ़ाता है.

नियमित पशुचिकित्सक की सलाह लें

दूध न उतरने की समस्या बार-बार हो रही हो तो उसे नज़रअंदाज़ न करें. पशु चिकित्सक से जांच कराएं ताकि बीमारी, संक्रमण या हार्मोनल समस्या का सही निदान किया जा सके.

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