पशुपालन बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. खासकर नवजात बछड़े की सही देखभाल से पशुधन स्वस्थ रहता है और किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने नवजात बछड़ों के पालन-पोषण के लिए कुछ आसान और जरूरी उपाय बताए हैं, जिनको अपनाकर किसान अपने पशुओं को स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं. जानिए इस खबर में नवजात बछड़े की देखभाल के सरल और असरदार तरीके.
जन्म के आधे घंटे के भीतर खीस पिलाना जरूरी
नवजात बछड़े को जन्म के बाद तुरंत ही खीस (कोलोस्ट्रम) पिलाना बहुत जरूरी होता है. खीस में ऐसा पोषण और प्रतिरक्षा तंत्र होता है जो नन्हे बछड़े को बीमारियों से बचाता है और उसकी ताकत बढ़ाता है. खीस जन्म के आधे घंटे के भीतर पिलाने से बछड़ा जल्दी मजबूत होता है और उसे संक्रमण का खतरा कम होता है. किसानों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि नवजात पशु को खीस समय पर मिले.
दो माह तक नियमित दूध पिलाएं
नवजात बछड़े की देखभाल में दूध की भूमिका अहम होती है. जन्म के बाद कम से कम दो महीने तक उन्हें नियमित और साफ दूध पिलाना चाहिए. दूध से उन्हें आवश्यक पोषण मिलता है जिससे उनकी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं. दो महीने के बाद धीरे-धीरे ठोस चारा देना शुरू करें, लेकिन दूध पिलाना तब तक जरूरी है जब तक पशु पूरी तरह से मजबूत न हो जाए.
स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण बनाए रखें
नवजात बछड़े को साफ-सुथरे और सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए. गंदगी और नमी से बचाव करने के लिए शेड या घर की साफ-सफाई जरूरी है. यह बीमारियों को रोकने में मदद करता है और पशु आराम से बढ़ते हैं. ठंड या तेज गर्मी से बचाने के लिए विशेष ध्यान रखें. अगर पर्यावरण सही होगा तो पशु स्वस्थ रहेंगे और तेजी से बढ़ेंगे.
तीसरे सप्ताह कृमिनाशक जरूर दें
नवजात बछड़े के स्वास्थ्य के लिए कृमिनाशक (worming medicine) देना जरूरी होता है. यह तीसरे सप्ताह में देना चाहिए ताकि पेट के कीड़े और अन्य परजीवी खत्म हो जाएं. कीड़े से बछड़े कमजोर हो सकते हैं और उनका विकास रुक सकता है. कृमिनाशक से बछड़े की सेहत अच्छी रहती है और वे तेजी से बढ़ते हैं. इसके लिए पशु चिकित्सक की सलाह लेना भी जरूरी होता है.
तीन महीने में आवश्यक टीकाकरण करें
बछड़े को तीन महीने की उम्र में जरूरी टीके लगवाना बहुत जरूरी होता है. टीकाकरण से वे कई जानलेवा बीमारियों से बच जाते हैं. बिहार सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा समय-समय पर जरूरी टीके मुहैया कराए जाते हैं. किसान अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय जाकर या मोबाइल वेटरिनरी सर्विस से टीकाकरण करवा सकते हैं. इससे पशुओं की मौत का खतरा कम होता है और वे ज्यादा स्वस्थ रहते हैं.