Chandigarh News: चंंडीगढ़ में धीरे-धीरे सब्जियों की कीमत में गिरावट आ रही है. लगभग तीन हफ्तों तक सब्जियों की कीमतें (vegetable price) लगातार बढ़ने के बाद अब चंडीगढ़ के लोगों को थोड़ी राहत मिली है. दरअसल, पंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ के कारण सप्लाई पर भारी असर पड़ा था, जिससे चंडीगढ़ में सब्जियों के दाम काफी बढ़ गए थे. लेकिन अब रास्ते दोबारा खुलने और सप्लाई चैन सामान्य होने के साथ ही अपनी मंडियों में दाम कुछ कम हुए हैं. मौजूदा वक्त में टमाटर 40 रुपये किलो हो गया है. इसी तरह शिमल मिर्च (Capsicum) 100 रुपये किलो तो फूलगोभी 70 रुपये किलो बिक रहा है. व्यापारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में हरी सब्जियों की कीमतों में और गिरावट आ सकती है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, टमाटर की कीमत, जो 3 सितंबर को 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थी, अब थोक मंडियों में घटकर 40 रुपये प्रति किलो हो गई है. खास बात यह है कि रिटेल बाजारों में हालत और खराब थी. पहले साधारण टमाटर 80 रुपये प्रति किलो और अच्छी क्वालिटी वाले टमाटर 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे थे. खास बात यह है कि सिर्फ टमाटर ही नहीं, बल्कि बाकी सब्जियों के दाम भी धीरे-धीरे कम हो रहे हैं.
किन सब्जियों के कितने कम हुए रेट
शिमला मिर्च, जो पहले 120 रुपये किलो बिक रही थी, अब 100 रुपये किलो में मिल रही है. फूलगोभी का दाम 120 रुपये से घटकर 70 रुपये और लौकी 70 रुपये से घटकर 50 रुपये किलो हो गए हैं. इसी तरह भिंडी 80 रुपये से घटकर 60 रुपये और बैंगन 60 रुपये से घटकर 50 रुपये किलो हो गया है. वहीं, नींबू भी अब 100 रुपये से घटकर 80 रुपये किलो पर आ गया है. हालांकि, लहसुन की कीमत अब भी 100 रुपये किलो बनी हुई है और उसमें कोई कमी नहीं आई है.
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बाढ़ से बागवानी फसल को नुकसान
अपनी मंडी की इंचार्ज, कोमल शर्मा ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में बाढ़ के कारण लोकल फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं. कुछ हफ्तों तक उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु और दिल्ली से सब्जियां मंगानी पड़ीं, जिससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ गया और दाम चढ़ गए. अब जब लोकल रास्ते फिर से खुल गए हैं और सप्लाई सामान्य हो रही है, तो कीमतें घटने लगी हैं और आने वाले दिनों में और गिर सकती हैं. हालांकि कुछ सब्जियां अभी भी पड़ोसी राज्यों से आ रही हैं, लेकिन रास्ते आसान होने से लागत कम हो गई है. टमाटर की बात करें तो ये आमतौर पर पंजाब से आता है, लेकिन इस बार तेज हवाओं और लू के कारण पैदावार कम हुई और क्वालिटी भी गड़बड़ा गई. ऊपर से बाढ़ और मजदूरों की कमी ने हालात और बिगाड़ दिए.