सफेद नहीं अब करें रंगीन फूलगोभी की खेती, किसानों को मिल रहा तगड़ा मुनाफा

सफेद गोभी की तुलना में रंगीन फूलगोभी में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. इसमें विटामिन ए, सी, के, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और जिंक की भरपूर मात्रा पाई जाती है. बैंगनी फूलगोभी में मौजूद एंथोसायनिन तत्व शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 23 Aug, 2025 | 02:10 PM

भारतीय रसोई में फूलगोभी का नाम आते ही ज्यादातर लोग सफेद गोभी की कल्पना करते हैं. पर अब यह सोच धीरे-धीरे बदल रही है. हाल के वर्षों में रंग-बिरंगी फूलगोभी यानी पीली, बैंगनी और गुलाबी गोभी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. दिखने में आकर्षक होने के साथ-साथ यह पोषण और सेहत का खजाना भी है. यही कारण है कि किसान इसकी खेती की ओर बढ़ रहे हैं और उपभोक्ता इसे अपनी थाली में शामिल कर रहे हैं.

रंगीन फूलगोभी क्यों है खास?

सफेद गोभी की तुलना में रंगीन फूलगोभी में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. इसमें विटामिन ए, सी, के, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और जिंक की भरपूर मात्रा पाई जाती है. बैंगनी फूलगोभी में मौजूद एंथोसायनिन तत्व शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकता है. वहीं पीली और नारंगी गोभी में बीटा-कैरोटीन पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी और त्वचा के लिए लाभकारी होता है.

किसानों के लिए सुनहरा अवसर

आजकल लोग सेहत के प्रति जागरूक हो रहे हैं और हेल्दी खाने की तलाश कर रहे हैं. शहरी इलाकों में रंगीन फूलगोभी की मांग काफी बढ़ गई है. सफेद गोभी की तुलना में इसकी कीमत बाजार में ज्यादा मिलती है. उदाहरण के लिए, जहां सफेद गोभी 20-30 रुपये किलो बिकती है, वहीं रंगीन फूलगोभी 60-100 रुपये किलो तक में बेची जाती है. किसानों के लिए यह एक कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाली फसल साबित हो रही है.

खेती का तरीका और अनुकूल जलवायु

  • रंगीन फूलगोभी की खेती करना मुश्किल नहीं है. यह सफेद गोभी की तरह ही उगाई जाती है.
  • खेती के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान आदर्श माना जाता है.
  • खेत की अच्छी जुताई और मिट्टी में गोबर की खाद डालना जरूरी है.
  • पानी की उचित मात्रा और सिंचाई का ध्यान रखने से पैदावार बेहतर होती है.
  • रोगों से बचाव के लिए जैविक तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

किसान पहले छोटे स्तर पर खेती शुरू करके इसकी पैदावार और मांग को परख सकते हैं. यदि परिणाम अच्छे आएं, तो इसे बड़े स्तर पर उगाया जा सकता है.

सरकारी योजनाओं और नई तकनीक की मदद

सरकार कृषि में विविधता और किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई योजनाओं को बढ़ावा दे रही है. रंगीन फूलगोभी की खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. किसान उन्नत बीज और प्रशिक्षण की मदद से नई तकनीकों को अपनाकर बेहतर उत्पादन कर रहे हैं. कुछ जगहों पर तो किसान प्राकृतिक तरीकों से जैव वर्धित किस्मों की रंगीन गोभी और ब्रोकली भी उगा रहे हैं.

भारत में बढ़ती लोकप्रियता

विदेशों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका में रंगीन फूलगोभी की खेती पहले से काफी लोकप्रिय है. वहां के वैज्ञानिकों ने जलवायु और मिट्टी के हिसाब से किस्मों का विकास किया है. अब भारत में भी किसान इसे अपनाने लगे हैं. खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में रंगीन फूलगोभी की खेती तेजी से बढ़ रही है. इससेकेवल किसानों को आर्थिक मजबूती मिल रही है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी स्वास्थ्यवर्धक और आकर्षक सब्जी मिल रही है.

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