देशभर में नौतपा का दौर शुरू हो चुका है. ये साल का सबसे गर्म और चुनौतीपूर्ण समय माना जाता है, जब सूरज रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और तापमान तेजी से बढ़ने लगता है. इस बार नौतपा 25 मई से 2 जून तक रहेगा और मौसम विभाग की मानें तो कई जिलों में पारा 47 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच सकता है. इस भीषण गर्मी में सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि पशुओं को भी गंभीर खतरा होता है. लू लगना, पानी की कमी और गर्मी से जुड़ी बीमारियां तेजी से फैलती हैं. ऐसे में पशुपालकों के लिए यह वक्त सतर्क रहने का है. देसी और पारंपरिक उपाय अपनाकर वे अपने पशुओं को इस तपती गर्मी से बचा सकते हैं.
लू से बचाव के देसी नुस्खे
अगर किसी पशु को गर्मी के कारण लू लग जाए तो उसे सबसे पहले ठंडी और छायादार जगह पर ले जाएं. पशु के शरीर पर ठंडा पानी छिड़कें या उसे ठंडे पानी से नहलाएं. पुराने जमाने के उपायों में पुदीना और प्याज का रस भी बहुत फायदेमंद होता है. पुदीना और प्याज को पीसकर उसका रस निकालें, फिर उसमें थोड़ा पानी मिलाकर पशु को पिलाएं. इससे उसके शरीर का तापमान कम होगा और उसे आराम मिलेगा.
गाभिन भैंस की खास देखभाल
नौतपा के दौरान गाभिन भैंसों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है. उन्हें दिन के समय खुले में न बांधें, बल्कि छांव में रखें. शरीर में पानी की कमी न हो, इसके लिए दिन में दो से तीन बार ठंडा पानी पिलाएं. हरा चारा दें जिससे गर्मी कम लगे और पाचन सही बना रहे. अत्यधिक गर्मी से गर्भपात की आशंका रहती है, इसलिए तापमान नियंत्रित रखना जरूरी है.
ताकत देने वाला घोल
लू से पीड़ित पशु को ताकत देने के लिए घर पर ही एक देसी घोल तैयार करें. एक बाल्टी ठंडे पानी में 100 ग्राम चीनी, 50 ग्राम भुना हुआ जौ का आटा और एक चुटकी नमक मिलाकर पशु को पिलाएं. ये मिश्रण ऊर्जा देता है और शरीर में नमक की कमी को पूरा करता है. वहीं, गंभीर स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें.
पशुचिकित्सक की सलाह जरूरी
अगर पशु लगातार सुस्त हो, खड़ा न हो पा रहा हो या सांस तेज चल रही हो तो इसे नजरअंदाज न करें. यह लू के गंभीर लक्षण हो सकते हैं. इस अवस्था में तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें और इलेक्ट्रोलाइट थेरेपी शुरू करवाएं. यह शरीर में पानी और लवण की कमी को तुरंत पूरा करती है.
ध्यान रखें ऊपर बताए गए उपाय सामान्य जानकारी के अनुसार हैं. इसलिए पशु की तबियत में जल्द सुधार के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें.