लंपी वायरस से बकरियां हो रहीं कमजोर, जानें कैसे फैल रहा रोग और कैसे करना है बचाव

लंपी वायरस बकरियों के लिए तेजी से फैलने वाली खतरनाक बीमारी बन गया है. इसके कारण बकरियों के शरीर पर दर्दनाक गांठें बनती हैं, दूध कम होता है और वजन घटने लगता है. समय पर पहचान, साफ-सफाई, संक्रमित पशु को अलग रखना और सही इलाज से इस बीमारी से बचाव संभव है.

नोएडा | Published: 2 Dec, 2025 | 05:17 PM

बकरी पालन करने वाले किसानों के लिए इन दिनों सबसे बड़ा डर बना हुआ है-लंपी वायरस. यह बीमारी धीरे-धीरे पूरे झुंड को कमजोर कर देती है. शरीर पर उभरती गांठें सिर्फ दर्द ही नहीं देतीं, बल्कि बकरी का वजन भी घटा देती हैं और दूध कम होने लगता है. किसानों की मेहनत कई बार एक ही बीमारी से बर्बाद हो जाती है. इसलिए इस वायरस को समझना और सही समय पर इसका इलाज करना बेहद जरूरी है.

लंपी वायरस क्या है और कैसे फैलता है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लंपी वायरस  एक संक्रामक बीमारी है जो जानवरों में तेजी से फैलती है. यह मुख्य रूप से लार, मच्छर, मक्खी, टिक, दूषित भोजन और संक्रमित पशुओं के संपर्क से फैलता है. गाय-भैंस के साथ-साथ बकरियां भी इसकी चपेट में आ जाती हैं. बकरियों के शरीर पर उभरने वाली कठोर गांठें आगे चलकर घाव का रूप ले लेती हैं, जिससे उन्हें चलने-फिरने, खाने और दूध देने में तकलीफ होती है. इस रोग को आम भाषा में गांठदार त्वचा रोग भी कहा जाता है क्योंकि इसका पहला असर त्वचा पर ही दिखाई देता है. ये गांठें बड़ी, दर्दनाक और गहरी होती हैं, जो बकरियों को काफी कमजोर बना देती हैं.

बकरियों में लंपी वायरस के लक्षण कैसे पहचानें?

लंपी वायरस के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, लेकिन एक बार शुरू होने पर बीमारी तेजी पकड़  लेती है. बकरियों में आमतौर पर 14 दिनों के भीतर इसका असर दिखने लगता है. सबसे पहले बुखार, आंखों से पानी आना, ज्यादा लार बहना, भूख कम लगना, वजन कम होना, शरीर पर सख्त गांठें और आगे चलकर गहरे घाव बनने लगते हैं. कई मामलों में बकरियां चलने से भी कतराने लगती हैं क्योंकि उनके पैरों के आसपास भी सूजन और गांठें बनने लगती हैं. गर्भवती बकरियों पर इसका असर और भी खतरनाक होता है. कई बार वायरस के कारण गर्भपात तक हो जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है.

कहां से आया यह रोग?

लंपी वायरस की शुरुआत अफ्रीका के देश जाम्बिया में हुई थी. वहां से यह बीमारी धीरे-धीरे कई देशों में फैली. 2019 में यह पहली बार चीन में सामने आया और उसी साल भारत में भी इसके मामले मिलने लगे. पिछले दो सालों में भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस के मामले तेजी से बढ़े हैं. राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार में इस रोग ने हजारों पशुओं को प्रभावित किया है. हालांकि सरकार और पशु विभाग लगातार टीकाकरण  और जागरूकता पर जोर दे रहे हैं, फिर भी ग्रामीण इलाकों में इसकी रोकथाम एक चुनौती बनी हुई है.

बकरियों को कैसे सुरक्षित रखें?

लंपी वायरस का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन थोड़ी सावधानी से इसे रोका जा सकता है.
सबसे पहले, संक्रमित पशु को अलग रखें ताकि बीमारी दूसरे जानवरों में न फैले. उनकी साफ-सफाई रखें, शरीर पर उड़ने वाली मक्खियों और मच्छरों पर नियंत्रण करें. पशु के घावों को साफ पानी से धोकर एंटीसेप्टिक दवा लगाना जरूरी है. बकरियों को पौष्टिक आहार दें ताकि उनका शरीर वायरस से लड़ सके. नमक-मिनरल मिश्रण और विटामिन देने से भी काफी फायदा मिलता है. अगर बकरी दूध  देती है, तो उसका दूध अच्छी तरह से उबालकर ही उपयोग करें. उबालने से वायरस पूरी तरह खत्म हो जाता है और दूध पीने योग्य हो जाता है. पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना जरूरी है ताकि सही समय पर दवा और इंजेक्शन दिए जा सकें.

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