Goat Farming, : अगर आपको लगता है कि सिर्फ गायें ही बाल्टी-भर दूध देती हैं, तो जरा रुकिए! भारत में बकरियों की कुछ ऐसी नस्लें भी हैं, जो कम खर्च, कम जगह और आसान देखभाल में इतना दूध देती हैं कि छोटे किसान भी अच्छी कमाई कर लेते हैं. गांवों में लोग इन्हें चलता-फिरता दूध का ATM तक कह देते हैं. बकरी पालन आज सिर्फ रोज़गार नहीं, बल्कि नस्लों की एक अनोखी और दिलचस्प दुनिया बन चुका है. जमुनापारी की शान, बारबरी की तेजी, बीटल की मजबूती, सिरोही की हिम्मत और सानेन की दूध क्षमता–इनकी खासियतें किसानों की जेब भर रही हैं.
जमुनापारी: बकरी नस्लों की रानी, देती है बाल्टी जैसा दूध
जमुनापारी बकरी का मूल घर उत्तर प्रदेश का इटावा जिला है. इसे बकरियों की रानी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिखने में सुंदर, बड़ी और वजनदार होती है. इसकी तोता-मुखी नाक, लंबे झूलते कान और पिछले पैरों पर पाए जाने वाले घने बाल इसे दूसरों से अलग बनाते हैं. जमुनापारी बकरी प्रतिदिन 3 से 4 लीटर तक दूध देती है, जो किसी भी छोटे किसान के लिए बढ़िया कमाई का साधन है. इसकी शरीर संरचना मजबूत होती है, इसलिए यह जल्दी बीमार भी नहीं पड़ती.
बारबरी, बीटल और सिरोही
बारबरी नस्ल दिल्ली, आगरा, मथुरा, एटा और हरियाणा के कई इलाकों में पाई जाती है. छोटे आकार की वजह से इसे City Goat भी कहते हैं. इसकी हिरनी जैसी आंखें और छोटे कान इसे आकर्षक बनाते हैं. बारबरी बकरी 2 लीटर तक दूध देती है और जल्दी बच्चे देती है, जिससे इसकी संख्या तेजी से बढ़ती है. बीटल नस्ल मुख्य रूप से पंजाब के गुरदासपुर में पाई जाती है. इसका रंग काला या कत्थई होता है और बकरों में दाढ़ी भी मिलती है. यह प्रतिदिन करीब 2 लीटर दूध देती है और इसका शरीर बड़ा और मजबूत होता है. सिरोही नस्ल राजस्थान और गुजरात में पाई जाती है. यह मजबूत और हार्डी होती है, इसलिए किसी भी मौसम में आसानी से पाल ली जाती है. सिरोही बकरी 1 से 2 लीटर तक दूध देती है और इसका लाल-भूरा शरीर बादामी धब्बों के साथ काफी आकर्षक लगता है.
सानेन: दूध की रानी, विदेशी नस्ल लेकिन भारत में भी खूब मांग
सानेन नस्ल मूल रूप से स्विट्जरलैंड की है, लेकिन भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. इसे दूध की रानी कहा जाता है क्योंकि यह 4 से 5 लीटर प्रतिदिन दूध देती है. मादा बकरी में सींग नहीं होते, लेकिन नर में पाए जाते हैं. इसका स्वभाव शांत और पालन आसान होता है, इसलिए बड़े डेयरी फार्म से लेकर छोटे किसानों तक, हर कोई इसे पसंद करता है.