Dairy Farming: भारत में डेयरी फार्मिंग न सिर्फ एक परंपरागत पेशा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी मानी जाती है. हर गांव में दूध से जुड़ा कोई न कोई व्यवसाय देखने को मिल जाता है. दूध की लगातार मांग और स्थिर आमदनी के कारण यह कारोबार किसानों के लिए बेहद भरोसेमंद है. लेकिन जब कोई किसान डेयरी शुरू करना चाहता है, तो सबसे पहला सवाल यही उठता है गाय पालें या भैंस? दोनों ही दूध देती हैं, लेकिन दोनों में देखभाल, खर्च, उत्पादन और बाजार मूल्य के लिहाज से बड़ा अंतर होता है.
गाय के दूध की खासियत
गाय का दूध हल्का और आसानी से पचने वाला होता है. इसमें फैट की मात्रा लगभग 3 से 4 प्रतिशत रहती है, जो इसे बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा उपयुक्त बनाती है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी की भरपूर मात्रा होती है. नियमित रूप से गाय का दूध पीने से पाचन तंत्र बेहतर रहता है और शरीर को ऊर्जा भी मिलती है. जिन लोगों को कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है, उनके लिए भी यह फायदेमंद माना जाता है.
भैंस के दूध का पोषण और उपयोग
भैंस का दूध गाय के दूध की तुलना में गाढ़ा और क्रीमी होता है. इसमें फैट की मात्रा 6 से 8 प्रतिशत तक होती है, जो इसे अधिक पोषक और ऊर्जा देने वाला बनाती है. यही कारण है कि भैंस का दूध घी, पनीर, खोया और मिठाई बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. हालांकि यह थोड़ा भारी होता है, इसलिए पचने में समय लेता है.
बाजार में दूध की कीमत
अगर बात बाजार की करें तो गाय का दूध आमतौर पर भैंस के दूध से सस्ता बिकता है. इसका कारण है कि इसमें फैट की मात्रा कम होती है. वहीं, भैंस का दूध अपने गाढ़ेपन और फैट कंटेंट की वजह से महंगा बिकता है. शहरों और डेयरी उद्योगों में इसकी ज्यादा मांग रहती है. जो किसान डेयरी के साथ घी या पनीर का बिजनेस करना चाहते हैं, उनके लिए भैंस का दूध ज्यादा लाभदायक साबित होता है.
देखभाल और पालन-पोषण
गाय की खासियत यह है कि वह मौसम के बदलाव को आसानी से झेल लेती है. गर्मी या ठंड दोनों मौसम में यह जल्दी अनुकूल हो जाती है. गाय को पानी भी भैंस की तुलना में कम चाहिए होता है. वहीं, भैंस को गर्मी में ठंडा पानी और कीचड़ में रहना पसंद होता है. अगर गर्मी ज्यादा हो, तो उनका दूध उत्पादन घट सकता है. इसलिए भैंस पालन के लिए ठंडा और पानी से भरपूर वातावरण जरूरी है.
दूध उत्पादन और मुनाफा
अच्छी नस्ल की गायें जैसे जर्सी या होल्सटीन फ्रिजियन (HF) रोजाना 15 से 25 लीटर तक दूध दे सकती हैं. जबकि मुर्रा या निली-रावी जैसी भैंसें औसतन 8 से 15 लीटर दूध देती हैं. हालांकि भैंस का दूध कम मात्रा में होने के बावजूद उसकी कीमत ज्यादा मिलने से मुनाफा संतुलित रहता है.
लागत और लाभ का हिसाब
गाय पालन की शुरुआती लागत कम होती है और चारे पर खर्च भी अपेक्षाकृत कम पड़ता है. लेकिन दूध की कीमत थोड़ी कम होने से मुनाफा मात्रा पर निर्भर करता है. वहीं, भैंस पालन में निवेश थोड़ा अधिक होता है, पर दूध की कीमत ऊंची मिलने से कम उत्पादन में भी अच्छा लाभ मिल सकता है.
किसे चुनें?
अगर किसान ऐसे इलाके में रहते हैं जहां गर्मी और पानी की कमी है, तो गाय पालन अधिक फायदेमंद रहेगा. वहीं, अगर इलाका ठंडा और पानी से भरपूर है, तो भैंस पालन से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. संक्षेप में, गाय ज्यादा दूध और कम देखभाल के लिए अच्छी है, जबकि भैंस कम दूध लेकिन अधिक फैट और ऊंचे दाम के लिए बेहतर विकल्प है.