देश में दूध उत्पादन और डेयरी विकास के क्षेत्र में कई संस्थान काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ ही संस्थान ऐसे हैं जो जमीन से जुड़े किसानों को सीधे फायदा पहुंचा रहे हैं. ऐसा ही एक प्रमुख संस्थान है- राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान. इस संस्थान ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसी तकनीकें और सुविधाएं तैयार की हैं, जिनका सीधा फायदा देश के लाखों डेयरी किसानों को मिल रहा है. चाहे बात दूध की मात्रा बढ़ाने की हो या उसकी गुणवत्ता सुधारने की, DRI ने हर मोर्चे पर बेहतर काम किया है.
उन्नत प्रजनन तकनीक से बढ़ा दूध उत्पादन
NDRI ने ऐसे वैज्ञानिक तरीके विकसित किए हैं जिनसे गाय-भैंसों की प्रजनन क्षमता में सुधार आया है. खासतौर पर भैंस क्लोनिंग जैसी तकनीक, जो भारत ही नहीं, दुनिया के लिए भी बड़ी उपलब्धि रही है. इस तकनीक के जरिए डेयरी किसानों को ऐसे पशु मिलते हैं जो अधिक और बेहतर गुणवत्ता का दूध देते हैं. इसके अलावा संस्थान ने सटीक दूध उत्पादन पूर्वानुमान (accurate milk yield prediction) और प्रजनन प्रबंधन की आधुनिक पद्धतियां तैयार की हैं, जिससे पशुपालक समय पर उचित निर्णय ले पाते हैं और उनका मुनाफा बढ़ता है.
दूध की गुणवत्ता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान
NDRI ने सिनबायोटिक प्रोडक्ट्स (Synbiotic Products), लैक्टोज-फ्री पेय और त्वरित संदूषक पहचान तकनीक जैसे नवाचारों पर काम किया है. इन तकनीकों से दूध की गुणवत्ता न सिर्फ बेहतर होती है, बल्कि उसे लंबे समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है. इससे किसानों को दो तरह से लाभ होता है- एक, दूध जल्दी खराब नहीं होता और दो, बाजार में उनके उत्पाद की विश्वसनीयता और मांग बढ़ती है. इसके साथ ही संस्थान में बना राष्ट्रीय रेफरल लैब दूध की गुणवत्ता की जांच में देश भर के किसानों और डेयरी उद्योग के लिए मददगार बन चुका है.
दूध बनाने के काम में मशीनों से काम तेज और आसान हुआ
संस्थान ने रैपिड मिल्क कूलिंग यूनिट, ऑटोमैटिक चीज प्रेसिंग मशीन जैसी मशीनों का विकास किया है, जिससे खेत स्तर से लेकर प्रोसेसिंग प्लांट तक काम तेजी और सफाई से होता है. इससे दूध की बर्बादी कम होती है और प्रोसेसिंग में खर्च भी घटता है. NDRI का मॉडल डेयरी प्लांट प्रतिदिन 60,000 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन करता है. यह प्लांट किसानों के लिए सीखने का केंद्र भी बन चुका है, जहां वे आकर आधुनिक तरीके जान सकते हैं और अपने स्तर पर अपनाकर मुनाफा बढ़ा सकते हैं.
किसानों के लिए 80 से ज्यादा उपयोगी तकनीकें
अब तक NDRI ने 80 से ज्यादा तकनीकों का विकास किया है. इनमें से कई तकनीकों को व्यावसायिक स्तर पर अपनाया जा चुका है. उदाहरण के लिए- दूध को जल्दी ठंडा करने की तकनीक, जैविक चारा, पशुओं के लिए पौष्टिक खुराक और प्रदूषण रहित डेयरी अपशिष्ट प्रबंधन. इन तकनीकों की मदद से किसान कम लागत में ज्यादा उत्पादन कर पा रहे हैं और बाजार में अच्छे दाम भी पा रहे हैं. ये नवाचार छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं.
मौसम के हिसाब से हो रहा शोध
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में डेयरी पशुपालन भी प्रभावित हो रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए NDRI ने जलवायु अनुकूल पशुधन अनुसंधान केंद्र की स्थापना की है. यहां ऐसे पशु विकसित किए जा रहे हैं जो गर्मी या ठंड जैसी मुश्किल परिस्थितियों में भी अच्छा दूध दें और बीमारियों से बचे रहें. यह रिसर्च केंद्र किसानों को मौसम के अनुसार पशुपालन की जानकारी देता है और बदलते हालात में टिकाऊ उत्पादन की दिशा में मदद करता है.