गांव में बैठे-बैठे इस पक्षी का करें पालन, 45 दिन में हो जाएगा तैयार.. मार्केट में है बहुत डिमांड
बटेर पालन अब गांवों में कम लागत और तेज मुनाफे वाला नया विकल्प बनता जा रहा है. यह छोटे किसानों के लिए खास फायदेमंद है, क्योंकि कम जगह, कम खर्च और जल्दी तैयार होने वाला यह पक्षी बाजार में आसानी से बिक जाता है. सही देखभाल से अच्छी आमदनी संभव है.
Quail Farming : गांवों में आज भी बहुत से लोग सोचते हैं कि पोल्ट्री फार्मिंग मतलब सिर्फ मुर्गी या बत्तख पालन है. लेकिन बदलते वक्त के साथ कम लागत और तेज मुनाफे वाला एक ऐसा विकल्प सामने आया है, जो चुपचाप किसानों की आमदनी बढ़ा रहा है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं बटेर पालन की. छोटे आकार का यह पक्षी कम जगह में पलता है, जल्दी तैयार होता है और बाजार में इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है. यही वजह है कि अब बटेर पालन को गांवों में एक भरोसेमंद कमाई का जरिया माना जाने लगा है.
कम लागत में शुरू होने वाला फायदे का सौदा
बटेर पालन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसे बहुत ज्यादा पैसे लगाकर शुरू नहीं करना पड़ता. छोटे स्तर पर भी यह काम आसानी से शुरू हो सकता है. बटेर के रख-रखाव में ज्यादा झंझट नहीं होता और इनकी बढ़त भी तेज होती है. खास बात यह है कि मादा बटेर सिर्फ 6 से 7 हफ्तों में ही अंडे देना शुरू कर देती है. एक मादा बटेर सालभर में करीब 250 से 300 अंडे देती है, जिससे किसान को लगातार आमदनी मिलती रहती है. कम खर्च और तेज रिटर्न के कारण यह छोटे किसानों के लिए अच्छा विकल्प बन रहा है.
बाजार में क्यों रहती है बटेर की मांग
बटेर के मांस और अंडों की बाजार में अच्छी मांग है. इसका मांस स्वादिष्ट होता है और इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा मानी जाती है. यही वजह है कि शहरों के होटल, ढाबे और स्थानीय बाजारों में बटेर आसानी से बिक जाते हैं. कई जगहों पर तो व्यापारी खुद गांव आकर बटेर खरीद ले जाते हैं. इससे किसानों को बाजार ढूंढने की ज्यादा परेशानी भी नहीं होती. बटेर पालन करने वाले किसान अपने नजदीकी कस्बों और शहरों में भी इसे बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
साफ-सफाई और देखभाल है सबसे जरूरी
बटेर पालन में साफ-सफाई का खास ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. इनके शेड में हवा और रोशनी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. चूजों को शुरुआती दो हफ्तों तक ज्यादा रोशनी की जरूरत होती है, इसके लिए इलेक्ट्रिक लाइट का इस्तेमाल किया जाता है. सही आहार और समय पर देखभाल से बटेर का चूजा करीब 45 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाता है. अगर पालन सही तरीके से किया जाए, तो बीमारी का खतरा भी काफी कम रहता है.
50 हजार से शुरू, लाखों की कमाई
अगर कमाई की बात करें, तो बटेर पालन में मुनाफा काफी अच्छा माना जाता है. करीब 50 हजार रुपये की शुरुआती लागत लगाकर किसान महीने में एक से डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. बाजार में एक बटेर का चूजा 18 से 20 रुपये में मिल जाता है और उसे बड़ा करने में लगभग 30 से 35 रुपये का खर्च आता है. वहीं तैयार बटेर 60 से 80 रुपये तक बिक जाता है. यही वजह है कि बटेर पालन अब गांवों में रोजगार और आमदनी का मजबूत जरिया बनता जा रहा है.