फसल की बजाय मछली पालन आइडिया बदल रहा कमाई का तरीका, किसानों की दिलचस्पी बढ़ी

धान और गेहूं की खेती की बजाय किसान मछली पालन करके तीन गुना मुनाफा हासिल कर पा रहे हैं. यही वजह है कि तराई या नमी वाले इलाकों में किसान गेहूं या दूसरी पारंपरिक फसलों को छोड़कर मछली पालन की ओर रुख कर रहे हैं. कम खर्च में मछलियों से किसानों की सालभर नकद आमदनी पक्की होने से इस ओर रुझान बढ़ रहा है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 2 Oct, 2025 | 11:48 AM

धान-गेहूं जैसी पारंपरिक खेती में सालभर मेहनत करने के बाद भी आमदनी सीमित होती है और मौसम या बाजार की मार से घाटा भी हो सकता है. वहीं अगर किसान एक बार तालाब बनवाकर सही प्रजातियों की मछलियां पाल लें, तो हर साल लाखों रुपये की कमाई संभव है. यही कारण है कि अब कई किसान भाई खेती की पारंपरागत सोच से बाहर निकलकर मछली पालन को अपनाने लगे हैं. यह न सिर्फ कम मेहनत वाला काम है, बल्कि इसमें जोखिम भी कम और मुनाफा ज्यादा है. तो क्या आप भी तैयार हैं तीन गुना कमाई के लिए?

क्यों है मछली पालन फायदेमंद?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मछली पालन  का सबसे बड़ा फायदा है- कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा. जहां धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलें साल में सिर्फ एक या दो बार ही आमदनी देती हैं, वहीं मछली पालन से सालभर में कई बार कमाई हो सकती है. ताजे पानी की मछलियों, खासकर रोहू, कतला और कार्प प्रजातियों की बाजार में लगातार जबरदस्त मांग रहती है. इससे किसानों को नियमित नकद आय (कैश फ्लो) मिलती है, जो पारंपरिक खेती में संभव नहीं. यही वजह है कि अब बड़ी संख्या में किसान इस दिशा में बढ़ रहे हैं और इसे एक सुरक्षित और लाभकारी विकल्प मान रहे हैं.

कितना खर्च? कितना मुनाफा?

अगर कोई किसान 1 एकड़ का तालाब बनाकर मछली पालन शुरू करता है तो इसकी शुरुआती लागत लगभग 80,000 रुपये से 1,20,000 रुपये तक आती है. इस खर्च में तालाब की खुदाई, मछली बीज की खरीद, चारे की व्यवस्था और नियमित देखभाल शामिल होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सही प्रजाति की मछलियां चुनी जाएं और तालाब की उचित निगरानी की जाए, तो एक साल में 3 से 5 लाख रुपये तक की आमदनी संभव है. यानी पारंपरिक खेती की तुलना में यह कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय है, जो किसानों के लिए फायदेमंद विकल्प बन सकता है.

कौन-कौन सी मछलियां पालें?

किसान सत्य प्रकाश पिछले 35 वर्षों से मछली पालन कर रहे हैं. उन्होंने इसकी शुरुआत ग्राम पंचायत के तालाब से की थी, लेकिन आज उनके अपने खेत में तालाब है और वे अच्छी कमाई कर रहे हैं. वे बताते हैं कि बाजार में छह मछलियों की सबसे ज्यादा मांग हैकतला, जो वजन में भारी और महंगी बिकती है. रोहू, जो स्वादिष्ट और जल्दी बिकती है; मृगल, जो कम चारे में अच्छा वजन देती है. ग्रास कार्प, जो तालाब को साफ भी करती है; कॉमन कार्प, जो तेजी से बढ़ती है; और सिल्वर कार्प, जो साफ पानी में शानदार ग्रोथ करती है.

जयंती रोहूकम समय, ज्यादा कमाई

जयंती रोहू मछली बाकी सामान्य रोहू की तुलना में तेजी से तैयार होती है. जहां आम रोहू को बिक्री योग्य आकार तक पहुंचने में 16 से 18 महीने लगते हैं, वहीं जयंती रोहू केवल 8 से 10 महीने में ही बाजार में बिकने लायक हो जाती है. इसका वजन भी बढ़िया होता है, जो लगभग 1 से 1.5 किलो तक पहुंचता है. बाजार में इसकी कीमत करीब 300 रुपये प्रति किलो तक मिलती है. अगर सही देखभाल, संतुलित आहार और तालाब की साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए, तो यह मछली किसानों के लिए एक नियमित आय का मजबूत जरिया बन सकती है.

कब करें शुरुआत और किन बातों का रखें ध्यान?

अगस्त से अक्टूबर के बीच मछली पालन की शुरुआत करना सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इस दौरान तालाबों में पानी की भरपूर मात्रा होती है और प्राकृतिक चारा भी पर्याप्त मिलता है, जिससे मछलियों की ग्रोथ तेज होती है. इस मौसम में तापमान भी अनुकूल रहता है, जिससे बीज जल्दी अनुकूलन कर पाते हैं. हालांकि, गर्मियों में भी मछली पालन संभव है, लेकिन उस समय तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा और पानी के स्तर को बनाए रखना बेहद जरूरी होता है. इसके अलावा, समय-समय पर पौष्टिक चारा देना भी मछलियों की बेहतर वृद्धि के लिए जरूरी होता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 2 Oct, 2025 | 11:47 AM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%