Sheep Farming: भेड़ की इस नस्ल से किसान कमाएं डबल मुनाफा, ऊन-दूध दोनों में फायदा

मालपुरा भेड़ आज किसानों के लिए कमाई का बड़ा साधन बन गई है. इसकी ऊन की मांग तेजी से बढ़ रही है और यह रोज दूध भी देती है. देखभाल आसान है और खर्च भी कम आता है. छोटे स्तर पर शुरुआत करके किसान हर साल अच्छी आमदनी कमा सकते हैं, इसलिए इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है..

नोएडा | Updated On: 19 Nov, 2025 | 06:53 PM

Sheep Farming : किसान आज खेती के साथ-साथ पशुपालन की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि इसमें कम निवेश में लगातार आमदनी मिलती है. खासकर भेड़ पालन ऐसा व्यवसाय है, जिसमें लागत कम और फायदा ज्यादा होता है. अगर किसान सही नस्ल का चुनाव कर लें, तो ऊन के साथ दूध की कमाई भी अच्छी होती है. ऐसी ही एक नस्ल है- मालपुरा भेड़, जिसे लाभ के लिहाज से सबसे बेहतर माना जाता है. देशभर में बढ़ती मांग को देखते हुए यह नस्ल किसानों के लिए सोने की खान साबित हो रही है.

मालपुरा नस्ल: किसानों की पहली पसंद क्यों?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मालपुरा भेड़  भारत की चुनिंदा ऊन देने वाली प्रमुख नस्लों में शामिल है. इसका शरीर मजबूत, सफेद ऊन की परत और तेज बढ़वार इसकी खासियत है. इस नस्ल का ऊन मोटा, चमकदार और अच्छी गुणवत्ता का होता है, जिसकी मार्केट में बड़ी मांग रहती है. इसके अलावा यह नस्ल दूध भी देती है. एक भेड़ रोजाना 300 से 500 ग्राम तक दूध देती है, जो छोटे परिवार और नवजात मेमनों के लिए काफी होता है. इस नस्ल की खासियत यह है कि यह गर्मी, ठंड और सूखे इलाकों में भी आराम से रह लेती है. इसलिए इसे भारत के कई राज्यों में आसानी से पाला जा सकता है.

ऊन की बढ़ती मांग से बढ़ती कमाई

मालपुरा नस्ल की सबसे बड़ी खासियत है इसका ऊन. इसका ऊन बाजार में अच्छी कीमत पर बिकता है क्योंकि- रंग साफ सफेद होता है. धागा बनाने में मजबूती और मोटाई अच्छी होती है. शॉल, स्वेटर, कंबल और फैंसी ऊन वाले कपड़ों  में इसका खूब इस्तेमाल होता है. एक मालपुरा भेड़ से साल में 1.5 से 2 किलो तक ऊन मिलता है. बाजार में ऊन की कीमत बढ़ने से किसानों को इससे अच्छी आमदनी हो रही है. कई राज्यों में ऊन खरीदने वाले व्यापारी सीधे गांवों में जाकर खरीदते हैं, जिससे किसानों को और फायदा मिलता है.

भेड़ों की देखभाल: आसान और कम खर्च वाली

भेड़ पालन  की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें ज्यादा खर्च नहीं आता. यह जानवर झुंड में रहना पसंद करता है और खुले में चराई से ही अपनी 60-70 फीसदी जरूरत पूरी कर लेता है. मालपुरा भेड़ की देखभाल में ध्यान रखने वाली बातें-

भेड़ों का जीवनकाल लगभग 7 से 8 साल होता है. इस दौरान हर साल इनसे ऊन मिलता है और बच्चे भी पैदा होते हैं, जिससे संख्या और कमाई दोनों बढ़ती रहती हैं.

बीमारी से बचाव बहुत जरूरी

भेड़ें सामान्य रूप से मजबूत होती हैं, लेकिन उन्हें कुछ संक्रामक बीमारियों का खतरा रहता है. इसलिए जरूरी है कि-

अगर देखभाल सही हो, तो भेड़ें बहुत कम बीमार पड़ती हैं और लगातार उत्पादन देती रहती हैं.

लागत कम, मुनाफा ज्यादा-किसानों के लिए बढ़िया व्यवसाय

अगर कोई किसान छोटे स्तर पर भेड़ पालन शुरू करना चाहे, तो वह 15-20 भेड़ों के साथ शुरू कर सकता है. लागत का अनुमान-

इस खर्च के बाद- ऊन की सालाना बिक्री, दूध और मेमनों की बिक्री इन सब से किसान को हर माह अच्छी कमाई होती है. कई किसान साल में 1 से 1.5 लाख रुपये तक आसानी से कमा लेते हैं.

 

Published: 19 Nov, 2025 | 08:21 PM

Topics: