Sheep Farming: खेती के साथ ऐसे शुरू करें भेड़ पालन, सालभर में होगी एक लाख की पक्की कमाई

देशभर के किसान अब खेती के साथ भेड़ पालन को भी अपना रहे हैं. ऊन और मांस की बढ़ती मांग ने इस व्यवसाय को मुनाफे वाला बना दिया है. कम लागत में भेड़ पालन से किसान सालभर में 70 हजार से 1 लाख रुपये तक कमा सकते हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 30 Oct, 2025 | 02:41 PM

Sheep Farming : अगर आप खेती के साथ-साथ कोई ऐसा साइड बिजनेस करना चाहते हैं जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे, तो भेड़ पालन (Sheep Farming) आपके लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है. आज देश के हजारों किसान खेती के साथ भेड़ पालन कर रहे हैं और इससे हर महीने हजारों रुपये की आमदनी कमा रहे हैं. इस व्यवसाय की सबसे खास बात यह है कि इसमें खर्च कम और कमाई ज्यादा होती है-क्योंकि भेड़ों से ऊन, मांस और दूध तीनों से फायदा होता है.

किसानों के लिए कम लागत वाला बड़ा बिजनेस

देशभर में पशुपालन  की ओर किसानों का झुकाव लगातार बढ़ रहा है. पहले जहां किसान सिर्फ खेती तक सीमित थे, अब वे भेड़ पालन जैसे वैकल्पिक व्यवसाय को भी अपना रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है- बढ़ती मांग और कम लागत में ज़्यादा मुनाफा. वर्तमान में ऊन  और मांस की मांग लगातार बढ़ रही है. सर्दी के मौसम में ऊन की कीमतें आसमान छूती हैं, वहीं मांस की मांग सालभर बनी रहती है. यही वजह है कि किसान अब खेतों के साथ-साथ अपने खेतों के कोने में भेड़ पालन शेड बनाकर इस काम से अच्छी कमाई कर रहे हैं.

गुग्नी नस्ल- साल में तीन बार ऊन, तीन गुना मुनाफा!

अगर आप नियमित आमदनी चाहते हैं, तो गुग्नी नस्ल  की भेड़ आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प हो सकती है. इस नस्ल की खासियत यह है कि इससे साल में तीन बार ऊन काटा जा सकता है. यह नस्ल सालभर में औसतन 1 से 1.5 किलो ऊन देती है. ऊन का बाजार मूल्य अच्छा होने के कारण पशुपालकों को हर सीजन में कमाई का मौका मिलता है. इसके अलावा यह नस्ल जल्दी अनुकूलन कर लेती है और बीमारियां भी कम लगती हैं. इस वजह से छोटे किसान भी आसानी से गुग्नी नस्ल की भेड़ से शुरुआत कर सकते हैं और धीरे-धीरे अपने झुंड को बढ़ा सकते हैं.

मारवाड़ी नस्ल-ऊन और मांस दोनों में फायदा

राजस्थान की मशहूर मारवाड़ी नस्ल किसानों के बीच सबसे लोकप्रिय मानी जाती है. यह नस्ल ऊन और मांस दोनों के लिए जानी जाती है. एक भेड़ सालाना 1.5 से 2.5 किलो तक ऊन देती है, जिसे साल में दो बार काटा जा सकता है. ऊन की बिक्री से किसानों को अच्छी आमदनी होती है, वहीं मारवाड़ी भेड़ का मांस बाजार में काफी ऊंचे दामों पर बिकता है. इस नस्ल की खासियत यह भी है कि यह गर्म और सूखे इलाकों में भी आसानी से पनप जाती है. कई पशुपालकों का कहना है कि सिर्फ 10-12 भेड़ों से शुरू करके सालभर में 70,000 से 1 लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है.

जैसलमेरी नस्ल- ऊन, दूध और मांस से तिहरा मुनाफा

जैसलमेरी नस्ल को सबसे ज्यादा बहुउपयोगी नस्ल कहा जाता है, क्योंकि यह ऊन, मांस और दूध -तीनों देती है. इस नस्ल से सालाना करीब 700 से 800 ग्राम ऊन प्राप्त होता है. इसका दूध पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है, जिसकी बाजार में काफी मांग रहती है. साथ ही, जैसलमेरी नस्ल कठिन जलवायु और रेतीले इलाकों में भी आसानी से जीवित रहती है. राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई किसान अब इस नस्ल को अपना रहे हैं क्योंकि यह कठोर परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती है और पशुपालक को सालभर आय का स्रोत प्रदान करती है.

कैसे शुरू करें भेड़ पालन?

भेड़ पालन व्यवसाय  शुरू करने के लिए ज़रूरत होती है सही नस्ल, उचित जगह और संतुलित आहार की-

  • शुरुआती निवेश: भेड़ों की खरीद, चारा और शेड बनाने में थोड़ा खर्च होता है, लेकिन इसकी भरपाई एक साल में हो जाती है.
  • चारा और पानी: हरा चारा, सूखा घास और पर्याप्त पानी का इंतजाम करें.
  • स्वास्थ्य: नियमित टीकाकरण और सफाई से भेड़ें स्वस्थ रहती हैं.
  • मुनाफा: ऊन, मांस और दूध की बिक्री से हर महीने स्थायी आमदनी हो सकती है.

अगर किसान 10-15 भेड़ों से शुरुआत करें, तो कुछ ही महीनों में 50,000 से 1 लाख रुपये तक का मुनाफा संभव है.

भेड़ पालन से आत्मनिर्भर किसान बन रहे हैं सफल उद्यमी

आज देश के कई राज्य जैसे राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में भेड़ पालन तेजी से फैल रहा है. सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की मदद से किसान इस व्यवसाय को वैज्ञानिक तरीके से सीख रहे हैं. भेड़ पालन अब सिर्फ एक पारंपरिक पेशा नहीं रहा, बल्कि यह एक आधुनिक और लाभदायक एग्री-बिज़नेस बन चुका है. अगर आप भी कम लागत में बड़ा फायदा चाहते हैं, तो इन तीन नस्लों- गुग्नी, मारवाड़ी और जैसलमेरी- में से किसी एक का पालन शुरू करें और कुछ ही महीनों में अपने लाभ को दोगुना होते देखें.

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