Kheri sheep: अगर आप ऐसा पशुपालन शुरू करना चाहते हैं जिसमें कम खर्च में ज्यादा मुनाफा मिले, तो भेड़ पालन आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है. खासकर राजस्थान की खेरी नस्ल की भेड़ आज किसानों और पशुपालकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह नस्ल न केवल गर्म और सूखे इलाकों में टिकती है, बल्कि ऊन और मांस दोनों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है. ग्रामीण इलाकों में इसे दोहरी कमाई वाली नस्ल भी कहा जाता है, क्योंकि यह पशुपालकों को दूध, मांस और ऊन-तीनों स्रोतों से आमदनी देती है. आइए जानते हैं इस देसी नस्ल की खासियत, पहचान, खानपान और कीमत की पूरी जानकारी.
राजस्थान की प्रसिद्ध देसी नस्ल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खेरी नस्ल की भेड़ भारत की प्रमुख देसी नस्लों में से एक है. यह मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है. इस नस्ल को सूखा और गर्म मौसम कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाता, बल्कि यह ऐसे वातावरण में अच्छे से पनपती है. यही वजह है कि रेगिस्तानी इलाकों में भी किसान इसकी ओर रुख कर रहे हैं. खेरी भेड़ अपने मजबूत शरीर, तेज अनुकूलन क्षमता और ऊन व मांस उत्पादन की गुणवत्ता के लिए मशहूर है. यह नस्ल हर उम्र और परिस्थिति में जल्दी ढल जाती है, जिससे पालन का खर्च भी काफी कम हो जाता है.
कैसे पहचानें खेरी नस्ल की भेड़
खेरी भेड़ को पहचानना मुश्किल नहीं है. इसका शरीर मध्यम आकार का और मजबूत होता है. रंग सामान्यत: सफेद होता है, लेकिन सिर और टांगों पर हल्के भूरे या काले धब्बे मिल सकते हैं. नर भेड़ों में सिंग घुमावदार और आगे की ओर मुड़े होते हैं, जबकि मादा भेड़ों में सिंग बहुत छोटे या अनुपस्थित रहते हैं. चेहरा लंबा, कान नीचे की ओर लटके और मध्यम आकार के होते हैं. इसका ऊन मोटा होता है, जो महीन कपड़ों में नहीं बल्कि कालीन और मोटे वस्त्रों के निर्माण में काम आता है.
खासियतें जो बनाती हैं इसे किसानों की पहली पसंद
खेरी नस्ल की भेड़ की सबसे बड़ी खासियत है इसका टिकाऊ स्वभाव. यह कम चारे और पानी में भी जिंदा रह सकती है और प्रजनन दर भी अच्छी रहती है. एक मादा भेड़ साल में एक बार बच्चे देती है, लेकिन कभी-कभी जुड़वा बच्चे भी जन्म देती है. इसकी देखभाल आसान होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है. इसलिए छोटे किसान और सीमांत पशुपालक भी बिना ज्यादा खर्च के इसे पाल सकते हैं. इसके अलावा इसका मांस स्वादिष्ट और ऊन मोटा होता है, जिससे यह बाजार में अच्छी कीमत दिलाती है.
खानपान और देखभाल
खेरी भेड़ के लिए खास खानपान की जरूरत नहीं होती. यह खेतों में बची फसल, सूखी घास और ज्वार-बाजरे की ठूंठ खाकर भी अपना पोषण पूरा कर लेती है. गर्मियों में इन्हें अधिक पानी की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों में सूखे चारे से ही काम चल जाता है. अगर किसान इनके खानपान में थोड़ी प्रोटीन और खली जैसी चीजें जोड़ दें, तो इनका वजन और उत्पादन तेजी से बढ़ता है. खुले मैदान और धूप वाले स्थान पर इन्हें चराना सबसे अच्छा माना जाता है.
कीमत और मुनाफा
खेरी नस्ल की भेड़ की कीमत उसकी उम्र, वजन और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. एक स्वस्थ मादा भेड़ की कीमत 5,000 से 10,000 रुपये तक होती है, जबकि वयस्क नर भेड़ 8,000 से 15,000 रुपये तक बिक सकती है. यदि कोई किसान 10 से 15 खेरी भेड़ें पालता है, तो सालभर में ऊन, मांस और बच्चों की बिक्री से आसानी से 80,000 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकता है. यही वजह है कि कई किसान गाय-भैंस पालन छोड़ अब भेड़ पालन की ओर बढ़ रहे हैं.
किसानों के लिए फायदे
- कम खर्च, ज्यादा मुनाफा:- देखभाल और चारा लागत कम लगती है.
- हर मौसम में अनुकूल:- यह भेड़ गर्मी, सर्दी और सूखे माहौल में भी टिकती है.
- दुगना फायदा:- ऊन और मांस दोनों से आय होती है.
- तेजी से बढ़ने वाली नस्ल:- इसका वजन और उत्पादन दोनों तेजी से बढ़ते हैं.
- कम बीमार पड़ती है:- प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है.
खेरी भेड़ न केवल किसानों की आय का स्रोत है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी बन रही है. इस नस्ल का पालन गांवों में रोजगार और आत्मनिर्भरता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है.