Sheep Farming: युवा किसानों की जेबें भर रहीं भेड़ें, ऊन-मांस और गोबर से खूब हो रही कमाई

कुछ ग्रामीण अब भेड़ पालन को आय का स्थायी साधन बना रहे हैं. इससे उन्हें ऊन, मांस, दूध, गोबर खाद और चमड़े जैसे कई तरह से कमाई हो रही है. कम लागत और अधिक लाभ के कारण युवा भी इसमें रुचि ले रहे हैं.

नोएडा | Published: 7 Aug, 2025 | 06:30 PM

जहां अधिकतर लोग आज भी केवल खेती या पारंपरिक पशुपालन जैसे गाय-भैंस पर निर्भर हैं, वहीं अब कुछ किसान भेड़ पालन को आजीविका का नया और स्थायी विकल्प बना रहे हैं. भेड़ पालन न केवल कम लागत वाला व्यवसाय है, बल्कि इससे एक साथ कई स्रोतों से कमाई की जा सकती है- जैसे ऊन, जैविक खाद, दूध, मांस और चमड़ा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार के सीमांचल इलाके में कुछ ग्रामीणों ने भेड़ पालन को बड़े स्तर पर अपनाकर सालाना लाखों रुपये की कमाई शुरू कर दी है. युवाओं ने भी इस ओर रुचि दिखाई और सफल हो रहे हैं.

खेती से हटकर भेड़ पालन की ओर रुझान

खेती में बढ़ती लागत, मौसम का असर और फसल के सही दाम न मिलने से अब किसान वैकल्पिक आय के रास्ते तलाश रहे हैं. ऐसे में भेड़ पालन एक सुरक्षित और लाभकारी विकल्प बनकर सामने आया है. इसमें अधिक निवेश की जरूरत नहीं होती और देखभाल भी अपेक्षाकृत आसान होती है. किसानों का कहना है कि यह काम अब सिर्फ पारंपरिक नहीं, बल्कि पूरी तरह व्यवसायिक बन चुका है.

ऊन से उर्वरक तक, भेड़ बने कमाई की मशीन

भेड़ पालन का सबसे बड़ा फायदा है कि एक ही पशु से कई तरह की आमदनी होती है. सबसे पहले सर्दियों में ऊन की बिक्री होती है, जिसकी बाजार में अच्छी मांग रहती है. इसके अलावा भेड़ों का जैविक मल उर्वरक के रूप में 8 से 10 रुपये प्रति किलो बिकता है, जिससे रोजाना सैकड़ों रुपये की आय होती है. साथ ही भेड़ का दूध और मांस भी बाजार में ऊंचे दामों पर बिकता है. खासकर कश्मीर और पहाड़ी इलाकों में भेड़ के मांस की बहुत मांग है। भेड़ की खाल यानी चमड़ा भी अच्छा दाम दिला देता है.

दो बार बच्चे देने से तेजी से बढ़ती हैं भेड़ें

भेड़ पालन की एक खास बात यह भी है कि इनमें प्रजनन की दर काफी तेज होती है. एक मादा भेड़ साल में दो बार बच्चे देती है और अगर देखभाल सही हो तो एक बार में दो बच्चे भी हो सकते हैं. इसी कारण से एक छोटी शुरुआत कुछ ही वर्षों में बड़े फार्म में बदल सकती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, व्यापारी दूर-दूर से भेड़ खरीदने आते हैं और अच्छी कीमत देते हैं.

गांव के युवा भेड़पालन को उद्योग में बदल रहे

गांवों के युवा अब इस परंपरागत व्यवसाय को नए नजरिए से देख रहे हैं. नई नस्लों की भेड़ें, आधुनिक देखभाल तकनीक और बाजार तक सीधी पहुंच-इन सबने भेड़ पालन को एक लाभकारी उद्योग में बदल दिया है. हालांकि इसमें मेहनत की जरूरत है, क्योंकि कई बार चराई के लिए दूर-दराज इलाकों तक जाना पड़ता है, लेकिन लाभ इससे कहीं अधिक है.

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