अब नहीं होगी हरे चारे की कमी, पौष्टिक ‘आचार’ रखेगा पशुओं को सेहतमंद और दूध भी बढ़ेगा
Cattle Feed: सर्दियों में पशुपालकों के लिए हरे चारे की समस्या आम है, लेकिन इसका देसी और आसान समाधान मौजूद है. पशुओं का आचार एक ऐसा पौष्टिक आहार है, जिसे एक बार तैयार कर चार महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है. यह तरीका सेहत और दूध उत्पादन दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है.
Dairy Farming : सर्दी आते ही पशुपालकों की सबसे बड़ी चिंता होती है कि हरा और पौष्टिक चारा कहां से आएगा? मौसम खराब, घास की कमी और ऊपर से बढ़ता खर्च.. लेकिन अगर आपको बताया जाए कि एक बार मेहनत करके आप चार महीने तक चारे की चिंता से मुक्त हो सकते हैं, तो? पशु वैज्ञानिकों ने पशुओं के लिए एक ऐसा देसी और कारगर तरीका बताया है, जिसे लोग प्यार से पशुओं का आचार कहते हैं. यह न सिर्फ पौष्टिक है, बल्कि दूध उत्पादन बढ़ाने में भी मददगार है.
क्या है पशुओं का आचार और क्यों है खास
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अलग-अलग तरह की हरी घास को मिलाकर तैयार किया जाने वाला यह खास आहार पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसमें पोषण भरपूर होता है, जिससे पशु स्वस्थ रहते हैं और बीमारियां भी कम होती हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इसे एक बार बनाकर 120 दिनों तक आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसी वजह से ठंड के मौसम में यह पशुपालकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
दो तरीके: साइलेज और हे, दोनों के अपने फायदे
पशुओं का यह आचार मुख्य रूप से दो तरीकों से तैयार किया जाता है, जिसे बनाना आसान है और कम खर्च में गांव स्तर पर भी किया जा सकता है. पहला तरीका साइलेज का है, जो अदलहनी हरी घास से तैयार किया जाता है और लंबे समय तक सुरक्षित रहता है. दूसरा तरीका हे (Hay) बनाने का है, जिसमें दलहनी चारे को सुखाकर उपयोग में लाया जाता है. दोनों ही तरीके पशुओं को भरपूर पोषण देते हैं, उनकी सेहत सुधारते हैं और दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करते हैं.
साइलेज बनाने का आसान देसी तरीका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साइलेज बनाने के लिए जमीन में एक गड्ढा तैयार किया जाता है. इसमें ज्वार, मक्का, नेपियर या बरसीम जैसी हरी घास को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर अच्छे से दबाकर भरा जाता है, ताकि अंदर हवा न जा सके. इसके बाद चारे के वजन के हिसाब से थोड़ा नमक, गुड़ का घोल और जरूरी पोषक तत्व मिलाए जाते हैं. फिर इसे प्लास्टिक शीट से एयरटाइट ढककर करीब दो महीने के लिए छोड़ दिया जाता है. 60-70 दिन बाद यह चारा पूरी तरह तैयार हो जाता है और इसे रोजाना पशुओं को खिलाया जा सकता है.
कैसे बनाएं और कितना दें
इसको बनाने के लिए सिर्फ दलहनी हरी घास ली जाती है. घास को काटकर पहले धूप में और फिर छांव में सुखाया जाता है. जब नमी काफी हद तक खत्म हो जाए, तो इसे सुरक्षित जगह पर रख लिया जाता है. यह चारा पशु बड़े चाव से खाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रोजाना 8 से 10 किलो साइलेज या हे देना हर पशु के लिए पर्याप्त माना जाता है. खास बात यह है कि इसे खिलाने के बाद अलग से दाना देने की जरूरत भी कम पड़ती है.