Fish Disease : सर्दियों में तेजी से फैल रहा मछलियों में ये खतरनाक संक्रमण, लक्षण पहचानकर समय पर करें इलाज

सर्दियों में तापमान गिरते ही मछलियों पर परजीवी रोगों का खतरा बढ़ जाता है. मध्यप्रदेश मछली विभाग ने बताया कि ठंड में मछलियों की ताकत कम होने से परजीवी जल्दी फैलते हैं. समय पर पहचान और इलाज न होने पर तालाब की बड़ी आबादी बीमार हो सकती है. मछुआरों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.

नोएडा | Updated On: 18 Nov, 2025 | 03:53 PM

Trichodinosis Disease : सर्दियां शुरू होते ही इंसानों की तरह मछलियों पर भी कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ जाता है. तापमान गिरने से पानी का संतुलन बदल जाता है और इसी मौके का फायदा उठाकर परजीवी मछलियों पर हमला कर देते हैं. मध्यप्रदेश मछली विभाग ने चेतावनी दी है कि इस मौसम में आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के परजीवी तेजी से फैलते हैं. अगर मछुआरे समय पर पहचान और इलाज न करें, तो तालाब की बड़ी आबादी बीमार हो सकती है.

ठंड में क्यों बढ़ जाते हैं परजीवी रोग?

ठंड में पानी का तापमान  कम हो जाता है, जिससे मछलियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है. इसी वजह से परजीवी उनके शरीर और गलफड़ों पर चिपक जाते हैं. आंतरिक परजीवी मछली के पेट, खून और गुर्दे में फैलते हैं, जबकि बाहरी परजीवी उसकी त्वचा, पंख और गलफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं. विभाग के अनुसार, यह समय सबसे ज्यादा सतर्क रहने का है, क्योंकि शुरुआत में लक्षण हल्के होते हैं और किसान अक्सर समझ नहीं पाते.

ट्राइकोडिनोसिस: ठंड में सबसे तेजी से फैलने वाला रोग

मध्यप्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा मामले ट्राइकोडिनोसिस  के देखे जा रहे हैं. यह रोग ट्राइकोडीना नाम के छोटे प्रोटोजोआ परजीवी से होता है. यह मछली के गलफड़ों और बाहरी सतह पर चिपककर तेजी से बढ़ता है. बीमारी बढ़ने पर मछली कमजोर पड़ जाती है, उसका वजन घटने लगता है और वह किनारे पर आकर शांत रहने लगती है. कई बार मछुआरे देखते हैं कि मछली बार-बार पानी की सतह पर आ रही है, क्योंकि उसे सांस लेने में तकलीफ होती है. यह इसलिए होता है क्योंकि गलफड़ों पर चिपके परजीवी से ज्यादा श्लेष्मा (चिपचिपा पदार्थ) बनने लगता है और मछली ठीक से सांस नहीं ले पाती.

बीमारी के मुख्य लक्षण जिन्हें किसान आसानी से पहचान सकते हैं

मछली विभाग  ने बताया कि ट्राइकोडिनोसिस के लक्षण पहचानना मुश्किल नहीं है. अगर ध्यान से देखा जाए, तो किसान बिना तकनीकी ज्ञान के भी बीमारी पहचान सकते हैं. आपको लगे कि मछली कमजोर दिखाई दे रही है, किनारे पर ज्यादा समय बिता रही है, वजन कम हो रहा है या सांस लेने में दिक्कत है, तो यह बीमारी का संकेत है. कई बार मछली के शरीर पर हल्का सफेद पपड़ी जैसापन भी दिखाई देने लगता है. यह भी बाहरी परजीवी का असर है. ठंड में यह बीमारी और तेजी से बढ़ती है, इसलिए शुरुआती लक्षण पर ही इलाज जरूरी है.

मध्यप्रदेश मछली विभाग की सलाह

मध्यप्रदेश मछली विभाग के मुताबिक, इस बीमारी का इलाज मुश्किल नहीं है, बस सही समय पर करना जरूरी है. संक्रमित मछलियों  को थोड़ी देर के लिए दवाओं वाले पानी में डुबाया जाता है. इससे परजीवी तुरंत कमजोर हो जाते हैं.
सबसे असरदार तीन उपचार ये हैं-

यह उपचार मछलियों की जान बचाते हैं और बीमारी फैलने से रोकते हैं.

तालाब प्रबंधन ठीक रखा तो बीमारी दूर रहेगी

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान पानी की सफाई और तालाब की गहराई  का सही ध्यान रखें, तो परजीवी रोग कम हो जाते हैं. ठंड के मौसम में पानी बदलना, गोबर न डालना और अधिक भीड़ न रखना बहुत जरूरी है. साथ ही, नई मछलियों को तालाब में छोड़ने से पहले 2-3 मिनट दवा वाले पानी में डुबाने की सलाह दी जाती है.

Published: 18 Nov, 2025 | 06:32 PM

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