दुनिया की सबसे महंगी गाय ‘विआटीना-19’ की कीमत 40 करोड़, जानिए भारत से क्या है रिश्ता?

इतनी ऊंची कीमत पर बिकने के चलते उसे 'गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दुनिया की सबसे महंगी गाय के रूप में दर्ज किया गया है. यही नहीं, वह 'मिस साउथ अमेरिका' का खिताब भी जीत चुकी है, जो गायों के सौंदर्य और शरीर संरचना के लिए आयोजित प्रतियोगिता है.

नई दिल्ली | Updated On: 3 Jul, 2025 | 11:55 AM

क्या आपने कभी सोचा है कि एक गाय की कीमत करोड़ों में हो सकती है? लेकिन यह हकीकत है. ब्राजील की एक खास नस्ल की गाय  ‘विआतीना-19 एफआईवी मारा इमोवेस’ (Viatina-19 FIV Mara Imóveis) को इसी साल 40 करोड़ रुपये (करीब 4.8 मिलियन डॉलर) में नीलाम किया गया. जिसके बाद वह दुनिया की सबसे महंगी गाय बन गई है. खास बात यह है कि यह गाय उस नस्ल से है जिसका मूल भारत के आंध्र प्रदेश में है, जी हां, बम बात कर रहे हैं ओंगोल (नेलोर) नस्ल की गाय की. तो चलिए जानते हैं क्यों खास है ये गाय.

कौन है ‘विआतीना-19’? क्यों इतनी महंगी?

विआतीना-19 एक नेलोर नस्ल की गाय है, जो अपने भारी शरीर, सफेद फर, ढीली चमड़ी और मजबूत कंधे की कूबड़ के लिए पहचानी जाती है. इसका वजन 1101 किलोग्राम है,जो आम नेलोर गायों से लगभग दोगुना है. यही नहीं, उसके शारीरिक गुण इतने श्रेष्ठ हैं कि वह नस्ल सुधार में क्रांति ला रही है.

विआतीना-19 की अनोखी बात यह है कि वह न केवल खुद सुंदर और बलिष्ठ है, बल्कि उसकी आनुवंशिक क्षमता भी बेजोड़ मानी जाती है. यही वजह है कि दुनियाभर में उसके अंडों (embryos) की भारी मांग है. उसकी आनुवंशिक गुणवत्ता को देखते हुए, वह भविष्य की पीढ़ियों की श्रेष्ठ गायों को जन्म दे सकती है.

विश्व रिकॉर्ड और सौंदर्य प्रतियोगिता की विजेता

इतनी ऊंची कीमत पर बिकने के चलते उसे ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दुनिया की सबसे महंगी गाय के रूप में दर्ज किया गया है. यही नहीं, वह ‘मिस साउथ अमेरिका’ का खिताब भी जीत चुकी है, जो गायों के सौंदर्य और शरीर संरचना के लिए आयोजित प्रतियोगिता है.

भारत से है पुराना नाता

नेलोर नस्ल की गाय दरअसल भारत के आंध्र प्रदेश की ओंगोल नस्ल से ही निकली है. ओंगोल गायें गर्मी सहन करने, बीमारियों से लड़ने और कम चारे में भी अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में माहिर होती हैं. ये खूबियां उन्हें ब्राजील समेत दुनिया के कई देशों में लोकप्रिय बनाती हैं.

19वीं सदी में भारत से ब्राजील भेजी गई इन गायों ने वहां की मवेशी क्रांति में बड़ी भूमिका निभाई. ओंगोल नस्ल की ताकत, सहनशक्ति और प्रजनन क्षमता ने नेलोर नस्ल को एक सुपरस्टार बना दिया.

क्यों इतनी कीमती हैं ये नस्लें?

1. गर्मी सहन करने की जबरदस्त ताकत

विआटीना-19 जैसी नस्लें, गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए आदर्श मानी जाती हैं. इनमें शरीर से अतिरिक्त गर्मी निकालने की विशेष क्षमता होती है. ढीली त्वचा और कंधों पर मौजूद कूबड़ गर्मी से लड़ने में मदद करता है. यही कारण है कि यह नस्ल दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के कई हिस्सों में बेहद सफल रही है.

2. बीमारी से लड़ने की ताकत

नेल्लोर या ओंगोल नस्लों की गायें आम बीमारियों के प्रति बेहद प्रतिरोधक मानी जाती हैं. इनकी मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पशुपालकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है क्योंकि इससे वैक्सीन, दवाइयों और डॉक्टर की जरूरत बहुत कम होती है. इनकी देखभाल पर कम खर्च आता है और उत्पादन में निरंतरता बनी रहती है.

3. प्राकृतिक चारा

ये गायें जंगलों, चरागाहों और खुले मैदानों में भी बहुत अच्छी तरह से चरकर अपना पोषण खुद पूरा कर लेती हैं. इन्हें महंगे डेयरी फीड या सप्लीमेंट्स की उतनी जरूरत नहीं होती, जिससे पालन-पोषण का खर्च कम होता है. ये किसी भी इलाके में आसानी से ढल जाती हैं, चाहे वो पहाड़ी हो, मैदानी या गर्म रेगिस्तानी.

4. शारीरिक बल

ओंगोल नस्ल के बैल सदियों से भारतीय कृषि में खेत जोतने और गाड़ी खींचने के लिए इस्तेमाल होते रहे हैं. यही मजबूत जीन आगे चलकर ब्राजील में “विआटीना-19” जैसी गायों में दिखते हैं, जिनका शरीर दुगना भारी और बेहद मांसल होता है. इनकी संतानें दूध और मांस दोनों में शानदार प्रदर्शन करती हैं.

Published: 3 Jul, 2025 | 11:45 AM