बाइक मैकेनिक सतनाम ने ड्रैगन फ्रूट से बदली किस्मत, खेती का तरीका सीखने आ रहे लोग

किसान सतनाम सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी बाइक रिपेयरिंग के काम के साथ-साथ ड्रैगन फ्रूट की जैविक खेती शुरू की, तो लोगों ने उनका उपहास किया.

नोएडा | Updated On: 22 Jun, 2025 | 07:39 PM

अगर दिल लगाकर सही तरीके से खेती की जाए तो यह फायदे का सौदा है. यह बात सही साबित कर दी है हिमाचल प्रदेश और पंजाब बॉर्डर में स्थिति धरोट के किसान सतनाम सिंह ने. वह उन्नत तरीके अपनाकर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. खास बात ये है कि वह ड्रैगन फ्रूट की खेती में किसी भी तरह के केमिकल्स या दवाओं का इस्तेमाल नहीं करते हैं. उनके ड्रैगन फ्रूट खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं, जबकि बहुत से लोगे ड्रैगन फ्रूट की खेती का तरीका भी उनसे सीखने पहुंच रहे हैं.

बंजर जमीन पर उगाए ड्रैगन फ्रूट

हिमाचल-पंजाब सीमा पर बिलासपुर जिले के ग्राम पंचायत धरोट के बाइक मैकेनिक सतनाम सिंह ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसी मिसाल पेश की है जो किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. दो साल पहले जिस बंजर जमीन को सबने छोड़ दिया था, उसी में सतनाम ने “ड्रैगन फ्रूट” की खेती कर अपनी किस्मत बदल दी है.

बाइक रिपेयरिंग के साथ जैविक खेती

किसान सतनाम सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी बाइक रिपेयरिंग के काम के साथ-साथ ड्रैगन फ्रूट की जैविक खेती शुरू की, तो लोगों ने उनका उपहास किया. लेकिन आज, वही लोग उनके बगीचे की तारीफ करते नहीं थकते. उनके बाग से रोजाना ताजे फल निकल रहे हैं और बड़ी संख्या में ग्राहक इसे खरीदने आ रहे हैं.

बिना केमिकल और दवाई के खेती

सतनाम ने दावा किया कि न कोई केमिकल, न कोई मिलावट. बस प्यार और पसीने से सींची गई यह खेती अब तैयार हो गई है. उन्होंने कहा कि वह ड्रैगन फ्रूट की खेती में किसी भी तरह के केमिकल्स या दवाओं का इस्तेमाल नहीं करते हैं. यह सफलता सिर्फ सतनाम की नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार की है, जिन्होंने साथ मिलकर मेहनत की, सपने देखे और आज उन सपनों को हकीकत में बदल दिया.

Satnam Singh dragon fruit farmer himachal

Satnam Singh dragon fruit farmer himachal

सरकारी विभाग से सहायता नहीं मिलने से मायूसी

सतनाम को इस बात की मायूसी है कि संबंधित विभागों द्वारा इस खेती को लेकर उन्हें न तो किसी प्रकार का प्रोत्साहन दिया गया और न ही कोई संबंधित विभाग का अधिकारी इस खेती को देखने आया. सतनाम के दर्द को बयां करते हुए उन्होंने कहा, “लोग दूर-दूर से आ गए, लेकिन एक भी सरकारी अफसर ने अब तक हमारा बाग नहीं देखा. सतनाम का मानना है कि उनकी मेहनत की कद्र होनी चाहिए.

ड्रैगन फ्रूट की खेती सीखने पहुंच रहे लोग

सतनाम ने बताया कि पंजाब और हिमाचल के लोग न केवल उनसे ड्रैगन फ्रूट खरीदने आ रहे हैं, बल्कि इस अनोखी खेती को देखने और सीखने भी आ रहे हैं. उन्होंने कई किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती का अपना तरीका भी सिखाया है. सतनाम का कहना है कि अगर सरकार से थोड़ी आर्थिक मदद मिल जाए, तो वह इस खेती को जिले में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में एक नई पहचान दिला सकते हैं.

Published: 22 Jun, 2025 | 07:38 PM