मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए सरकारी संस्था इफको अपनी पूरी ताकत लगा रही है. किसानों को नैनो डीएपी सही समय पर उपलब्ध कराई जा सके, इसके लिए अब इफको ने उत्तर प्रदेश के दो जिलों बरेली और फूलपुर में बने अपने दो नैनो प्लांट्स में नैनो डीएपी लिक्विड का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है. बता दें कि ये दोनों प्लांट हर दिन 2 लाख नैनो डीएपी लिक्विड की बोतल का उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं. इफको द्वारा किए जा रहे इस उत्पादन से निश्चित तौर पर किसानों को सही समय पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा सकेगा.
हर दिन 9.5 लाख बोतलों का होगा उत्पादन
इफको द्वारा बरेली और फूलपुर में नैनो डीएपी लिक्विड के उत्पादन की शुरुआत के साथ देश में नैनो डीएपी लिक्विड सप्लाई बढेंगी. इफको द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ये दोनों ही प्लांट्स हर दिन 2 लाख नैनो डीएपी लिक्विड बोतलों का उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं. इसके साथ ही देश भर में अब इफको की पांचों प्लांट्स की मदद से हर दिन करीब 9.5 लाख नैनो डीएपी लिक्विड और नैनो यूरिया की बोतलों का उत्पादन हो सकेगा. इफको की ये 5 प्लांट्स बरेली के आंवला, प्रयागराज के फूलपुर, गुजरात के कांडला और कलोल, और ओडिशा के पारादीप में स्थित हैं.

IFFCO Nano DAP and Nano Urea manufacturing Unit
6 करोड़ उर्वरक की बोतले बनाने की योजना
दरअसल, किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए इफको ने साल 2024 से 2025 के दौरान 4 करोड़ नैनो यूरिया और 2 करोड़ नैनो डीएपी बोतलों के उत्पादन का टार्गेट सेट किया था. यानी इफको ने किसानों को 6 करोड़ उर्वरकों की बोतल उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. बता दें कि इफको के इन उत्पादनों का वितरण 36 हजार सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाएगा. बरेली और फूलपुर में शुरु किए गए इस व्यावसायिक उत्पादन के बाद नैनो डीएपी लिक्विड के उत्पादन में बढोतरी होगी जिसकी मदद से किसानों को इसे उपलब्ध कराना बेहद ही आसान हो जाएगा.
क्यों जरूरी है नैनो डीएपी
नैनो डीएपी एक ऐसा उर्वरक है जिसे नैनोटेक्नोलॉजी से बनाया गया है. इसकी मदद से फसलों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दिया जाता है जो कि फसलों की ग्रोथ के लिए बेहद ही जरूरी होता है. इसके इस्तेमाल से पैदावार भी अच्छी होती है. यह मिट्ट की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करती है. इसके साथ ही इसके इस्तेमाल से वातावरण को किसी तरह का नुसकान नहीं पहुंचता है.