उत्तर प्रदेश के किसानों और पशुपालकों के लिए बुधवार का दिन नई उम्मीद लेकर आया. राजधानी लखनऊ में ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाया गया, जो गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के बीच एक बड़ा समझौता हुआ. इसके तहत गोरखपुर, कानपुर और कन्नौज के तीन डेयरी प्लांट और अंबेडकरनगर की एक पशु आहार फैक्ट्री अब एनडीडीबी की तकनीकी देखरेख में चलेंगी, जिससे किसानों को समय पर पैसा, बेहतर दाम और एक मजबूत बाजार मिल सकेगा.
अब किसान आत्महत्या नहीं करता
मुख्यमंत्री योगी ने इस मौके पर न सिर्फ योजनाओं की चर्चा की, बल्कि किसानों की जिंदगी में आए बदलाव को भी खुलकर साझा किया. उनका कहना था- “मोदी जी के नेतृत्व में अब किसानों में आत्मविश्वास लौटा है. अब किसान आत्महत्या नहीं करता, उसे खेती के साथ-साथ पशुपालन, प्रोसेसिंग और अन्य सहायक क्षेत्रों में भी अवसर मिल रहे हैं. सरकार उसे तकनीक, प्रशिक्षण और बाजार तीनों दे रही है.”
आज उत्तर प्रदेश में भारत सरकार के सहयोग से जिस डेयरी उद्योग को हम लोगों ने आगे बढ़ाया है वह अच्छा कार्य कर रहा है… pic.twitter.com/8ToMgaXh9w
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 25, 2025
“अब योजनाएं किसानों के लिए बनती हैं, बंदरबांट के लिए नहीं”
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने बीते वर्षों की सरकारों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पहले योजनाएं सिर्फ धन के बंटवारे के लिए बनती थीं, किसान को उनका कोई लाभ नहीं मिलता था. लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से पूरे देश में समग्र विकास की नीति अपनाई गई, जिसमें किसानों को भी पहली बार केंद्र में स्थान मिला.
दूध उत्पादन को मिलेगा तकनीकी सहारा
अब ये डेयरी प्लांट सिर्फ दूध जमा करने या बेचने तक सीमित नहीं रहेंगे. एनडीडीबी के साथ हुए इस समझौते के बाद अब यहां काम और भी बेहतर तरीके से होगा. किसानों को दूध का अच्छा दाम मिलेगा, समय पर पैसा मिलेगा और उनका दूध बेचने के लिए एक भरोसेमंद बाजार भी हमेशा रहेगा.
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार पूरी निष्ठा से पशुधन आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में जुटी है. योगी ने कहा, “अगर उत्तर प्रदेश की पशुधन क्षमता का वैज्ञानिक तरीके से दोहन किया जाए तो यह राज्य दुनिया के डेयरी नक्शे पर नई पहचान बना सकता है.”
सरकार और संस्थाएं मिलकर ग्रामीण भारत को संबल दे रही हैं. गोरखपुर, कानपुर और कन्नौज जैसे जिलों के किसान अब सिर्फ दूध उत्पादक नहीं, बल्कि प्रोसेसर और मार्केट लिंकेज से जुड़ने वाले आधुनिक किसान बन सकेंगे.