धान की फसल में फैली गंभीर बीमारी, मार्केट में नहीं है इसकी दवा.. वैज्ञानिकों ने बताए बचाव के उपाय

वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसल की सही देखभाल करें और पोषक तत्वों का स्प्रे करें, क्योंकि इस बीमारी को रोकने के लिए कोई विशेष कीटनाशक उपलब्ध नहीं है. उन्होंने किसानों से कहा है कि किसान धान के खेत में यूरिया का उपयोग तुरंत बंद करें.

नोएडा | Updated On: 10 Sep, 2025 | 05:59 PM

Paddy Cultivation: तेलंगाना में यूरिया की किल्लत का सामना कर रहे धान किसानों के सामने एक नई परेशानी आ गई है. करीमनगर जिले में धान की फसल में ‘बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट’ (Bacterial Leaf Blight) नामक नई बीमारी फल गई है. इससे फसल को नुकसान पहुंच रहा है. किसानों का कहना है कि अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया, तो पूरी फसल चौपट हो जाएगी. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. खास बात यह है कि यह वायस फसल में तेजी से फैल रहा है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.

करीमनगर जिले के धान किसान पिछले चार सालों से तना छेदक (Stem Borer) की वजह से नुकसान झेल रहे थे. अब ‘बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट’ नामक नई बीमारी ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. खास बात यह है कि इस बीमारी से जून और जुलाई में बोई गई धान की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. किसानों का कहना है कि इस बीमारी की शुरुआत पत्तियों पर पीले धब्बों से होती है, जो धीरे-धीरे फैलकर पूरी पत्ती को पीला कर देती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बीमारी का मुख्य कारण मौसम में अचानक बदलाव और तापमान में गिरावट है.

बीमारी से बचाने के लिए किसान करें ये उपाय

तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसल की सही देखभाल करें और पोषक तत्वों का स्प्रे करें, क्योंकि इस बीमारी को रोकने के लिए कोई विशेष कीटनाशक उपलब्ध नहीं है. उन्होंने किसानों से कहा है कि किसान धान के खेत में यूरिया का उपयोग तुरंत बंद करें. साथ ही खेत से पानी निकालकर जमीन को सुखाएं. इससे बीमारी की फैलने की संभावना कम हो जाएगी. साथ ही कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि संक्रमित खेतों का पानी अन्य खेतों में न जाने दें. फंगल के बढ़ने पर नियंत्रण रखें और फसल की नियमित निगरानी करते रहें. इन उपायों से किसान इस बीमारी से फसल को बचा सकते हैं. साथ ही धान की खेती के अंतिम चरण में पोटाश का इस्तेमाल करना अनिवार्य कहा गया है.

ऐसे भी इस साल किसानों ने बड़े पैमाने पर धान की खेती की है, क्योंकि सिंचाई परियोजनाओं, तालाबों, कुओं और अन्य स्रोतों में भरपूर पानी उपलब्ध था. इसके अलावा, भूजल स्तर (ग्राउंडवॉटर) बढ़ने से कृषि कुओं और बोरवेल्स में भी पर्याप्त पानी रहा.

वैज्ञानिकों की किसानों के लिए खास सलाह

वैज्ञानिकों के मुताबिक, अचानक मौसम में बदलाव, फसलों के बीच में समय का अंतर न होने की वजह से कीट जन्म ले रहे हैं. ये सभी कारण धान की फसल को बीमारियों और कीटो के हमलों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना रहे हैं. इसलिए वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मौसम और कीटों के चक्र को ध्यान में रखते हुए फसल चक्र और समयबद्ध खेती करें, ताकि इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके.

Published: 10 Sep, 2025 | 05:52 PM

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