फसल की सेहत का राज, जानिए पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों की पूरी लिस्ट

फसल की सेहत के लिए पौधों को मुख्य, गौण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है. समय-समय पर मिट्टी की जांच कर संतुलित उर्वरक प्रबंधन से उत्पादन बेहतर किया जा सकता है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 15 Jun, 2025 | 05:28 PM

अगर आप अपनी फसल से बेहतर उत्पादन चाहते हैं तो सबसे पहले पौधों को मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी होना जरूरी है. पौधे मिट्टी से पानी और पोषक तत्व लेकर अपनी वृद्धि करते हैं. इनमें प्रमुख रूप से मुख्य पोषक तत्व , गौण पोषक तत्व और सूक्ष्म पोषक तत्व शामिल हैं. साथ ही मिट्टी जांच भी उतनी ही जरूरी है ताकि समय रहते पता चल सके कि किस पोषक तत्व की कमी है और संतुलित उर्वरक प्रबंधन से उपज बढ़ाई जा सके.

पौधे कैसे लेते हैं पोषण

पौधे जड़ों के माध्यम से मिट्टी से पानी और पोषक तत्व लेते हैं. वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड और सूर्य से प्रकाश ऊर्जा लेकर पौधे अपना भोजन खुद बनाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में पोषक तत्वों की बड़ी भूमिका होती है. अगर मिट्टी में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाए तो पौधे का विकास रुक जाता है, पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और उत्पादन कम हो जाता है.

मुख्य पोषक तत्व जो फसल को बनाते हैं मजबूत

फसलों के अच्छे विकास के लिए तीन मुख्य पोषक तत्व सबसे अहम होते हैं.

  • नाइट्रोजन (N) – हरी पत्तियों और विकास के लिए जरूरी. इसकी कमी से पत्तियां पीली हो जाती हैं.
  • फास्फोरस (P) – जड़ और बीज के विकास में मदद करता है.
  • पोटाश (K) – पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और फलों-फूलों की क्वालिटी बेहतर बनाता है.

पौध विकास के लिए ये तत्व भी जरूरी

मुख्य पोषक तत्वों के अलावा कुछ गौण पोषक तत्व भी जरूरी होते हैं, जिनकी मात्रा थोड़ी कम होती है लेकिन भूमिका बड़ी होती है.

  • कैल्सियम – कोशिका दीवार मजबूत करता है.
  • मैग्नीशियम – हरितलवक (क्लोरोफिल) बनाने में जरूरी.
  • गंधक (सल्फर) – प्रोटीन निर्माण में सहायक.

इनकी कमी से पौधों में कमजोर तना, पीली पत्तियां और कम उत्पादन की समस्या आने लगती है.

सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी अहम भूमिका

पौधों को लोहा, जिंक, कॉपर, मैग्नीज, मोलिब्डेनम, बोरॉन और क्लोरीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी चाहिए. भले ही इनकी मात्रा बहुत कम हो, लेकिन अगर इनमें से किसी एक की भी कमी हो जाए तो फसल का विकास रुक जाता है. उदाहरण के लिए, जिंक की कमी से पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है और पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं.

मिट्टी की जांच है सबसे बड़ा उपाय

मिट्टी में कौन सा पोषक तत्व कितना है, यह जानने के लिए मिट्टी की समय-समय पर जांच कराना बेहद जरूरी है.

कब कराएं जांच

  • फसल की कटाई के बाद या फसल के मौसम शुरू होने से पहले.
  • हर 3 साल में कम से कम एक बार.

जांच करना क्यों जरूरी

  • सघन खेती से मिट्टी में पोषण असंतुलन हो जाता है.
  • जांच से पता चलता है कि कौन से उर्वरक की कितनी जरूरत है.
  • संतुलित उर्वरक प्रबंधन से लागत घटती है और उत्पादन बढ़ता है.

Published: 15 Jun, 2025 | 05:17 PM

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