तेलंगाना में कपास की खरीदी शुरू, पर किसानों को नहीं मिल रहा उचित रेट.. 730 रुपये क्विंटल नुकसान
कपास किसानों ने मंडी में उचित दाम न मिलने पर नाराजगी जताई. 105 लाइसेंसधारक व्यापारियों के बीच जहां घोषित MSP 6,830 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं बाजार में अधिकतम 6,300 रुपये और न्यूनतम 5,000 रुपये की ही कीमत मिल रही थी.
Telangana News: तेलंगाना के वारंगल स्थित एनुमामुला कृषि बाजार में तीन दिनों के अंतराल के बाद बुधवार से कपास की खरीद-फरोख्त फिर शुरू हो गई. इसके साथ ही मंडी में किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. एशिया के सबसे बड़े कपास बाजारों में से एक इस मंडी में फिर से रौनक लौट आई है. कहा जा रहा है कि निजी व्यापारियों ने खरीद शुरू की है, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली. हालांकि, अभी भी किसानों को बेहतर कीमतें नहीं मिल रही हैं. उन्हें प्रति क्विंटल 730 रुपये का नुकसान हो रहा है. इससे पहले कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने खरीद सीमित कर दी थी, जिसके चलते बाजार तीन दिनों तक बंद रहा.
इसके बाद बाजार अधिकारियों और तेलंगाना कॉटन मिलर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन ने कपास आवंटन से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए कृषि मंत्री तुम्हाला नागेश्वर राव से मुलाकात की. कई बैठकों के बाद राज्य सरकार ने खरीदारों और जिनिंग मिलों की शिकायतों को दूर करने का फैसला किया और मंडी को दोबारा खोल दिया. निजी व्यापारी तुरंत बड़ी मात्रा में कपास खरीदने लगे. CCI ने 8 फीसदी से 12 फीसदी नमी वाली कपास की कीमत 8,100 रुपये प्रति क्विंटल तय की है, जबकि इससे अधिक नमी वाली कपास खरीदने से मना किया गया है. बाजार अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को करीब 2,000 बोरे कपास पहुंचे और किसानों की बिक्री सुचारू रहे, इसके लिए सभी इंतजाम किए गए हैं.
किसानों को 730 रुपये का हो रहा नुकसान
कपास किसानों ने मंडी में उचित दाम न मिलने पर नाराजगी जताई. 105 लाइसेंसधारक व्यापारियों के बीच जहां घोषित MSP 6,830 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं बाजार में अधिकतम 6,300 रुपये और न्यूनतम 5,000 रुपये की ही कीमत मिल रही थी. रायपर्थी मंडल के किसान पी. मधुसूदन ने कहा कि निजी व्यापारी सरकार द्वारा तय MSP से कम दाम दे रहे हैं, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल 730 रुपये का नुकसान हो रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की कि कपास किसानों को पूरा MSP सुनिश्चित किया जाए.
क्या कहते हैं किसान
वर्धनपेता मंडल के किसान इसलावथ जीवा ने कहा कि उन्होंने चार एकड़ में कपास लगाने पर 1 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन पैदावार उम्मीद से कम रही और भारी बारिश ने फसल को और नुकसान पहुंचाया. अब बाजार में जो दाम मिल रहे हैं, वह मजदूरों की लागत तक पूरी नहीं कर पा रहे. उनका कहना है कि इस सीजन में कपास किसानों को भारी नुकसान हुआ है. कहा जा रहा है कि ऐसे में किसान कपास की खेती से दूरी भी बना सकते हैं.