कपास किसानों की बढ़ी परेशानी, मंडी में नहीं मिल रहा रेट, MSP से कम पर बेचने को हुए मजबूर

तेलंगाना में कपास किसानों को CCI के नए खरीद नियमों से भारी दिक्कतें हो रही हैं. प्रति एकड़ खरीद सीमा घटने और डिजिटल ऐप की जटिल प्रक्रिया से किसान परेशान हैं. बारिश से फसल में नमी बढ़ी, जिससे कटौती हो रही है. किसान उचित दाम न मिलने पर निजी व्यापारियों पर निर्भर हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 10 Nov, 2025 | 10:30 PM

Cotton Cultivation: तेलंगाना के कपास किसान इन दिनों परेशान हैं, क्योंकि कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) के नए खरीद नियम में  पारदर्शिता लाने के बजाय भ्रम और दिक्कतें पैदा कर रहे हैं. इन नियमों के कारण कई छोटे किसानों को या तो कम दामों पर कपास बेचनी पड़ रही है या फिर उनकी फसल गोदामों में खराब हो रही है. खासकर यादाद्री भोंगीर, नारायणपेट, भद्राद्री कोठागुडेम और आदिलाबाद जिलों के किसान नुकसान झेल रहे हैं और कई जगहों पर हाईवे पर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं. खरीफ सीजन की कटाई के दौरान असमय बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए. ऊपर से किसानों को अब ‘कपास किसान’ ऐप पर जमीन के रिकॉर्ड, फसल प्रमाणपत्र और आधार से जुड़ी जानकारी अपलोड करनी पड़ रही है, जिससे प्रक्रिया और मुश्किल हो गई है.

तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, CCI ने अब प्रति एकड़ खरीद सीमा 12 क्विंटल से घटाकर 7 क्विंटल कर दी है, जबकि राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस बार औसत उत्पादन 11.74 क्विंटल प्रति एकड़ तक है. इससे करीब पांच लाख कपास किसान  चिंतित हैं. महबूबाबाद जिले के छोटे किसान मडिकांती नरसैया ने कहा कि दस्तावेजी प्रक्रिया को आसान करें, खरीद की सीमा बढ़ाएं और मिलों की संख्या बढ़ाएं, नहीं तो किसानों को निजी व्यापारियों पर निर्भर होना पड़ेगा.

किसानों को हो रही परेशानी

किसानों का कहना है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो इस बार की अच्छी पैदावार  कड़वा अनुभव बन जाएगी. डिजिटल सिस्टम का मकसद भले ही बिचौलियों को हटाकर 8,110 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करना था, लेकिन ज्यादातर किसानों के लिए यह प्रक्रिया कठिन साबित हो रही है. एक किसान ने बताया कि हममें से करीब 80 फीसदी लोग ऐप चलाना नहीं जानते और तकनीकी दिक्कतों के कारण कई किसान हार मान रहे हैं.  बिना स्लॉट बुक किए, कपास से लदे ट्रक कई दिनों तक जिनिंग मिलों के बाहर कतार में खड़े रहते हैं, लेकिन भंडारण की कमी या सीमित कोटा के कारण उन्हें लौटा दिया जाता है. दीवाली के बाद कई जगहों पर खरीद केंद्र खोलने की योजना थी, लेकिन किसान अब भी इंतजार कर रहे हैं.

बारिश और चक्रवात से फसल को नुकसान

यादाद्री भोंगीर के रामन्नापेट के किसान वेंकटेश्वरलु ने कहा कि बारिश और चक्रवात  से पहले ही फसल घट गई थी, अब CCI ने खरीद सीमा पांच क्विंटल घटा दी है. हमें मजबूर होकर व्यापारियों को आधे भाव पर बेचना पड़ रहा है. नमी की समस्या ने भी संकट बढ़ा दिया है. हाल की बारिश से कपास की नमी 8-12 फीसदी की सीमा से ऊपर चली गई, जिसके चलते CCI अधिकारी 1.5 किलो प्रति क्विंटल तक कटौती कर रहे हैं या गीला माल कहकर खरीदने से मना कर रहे हैं. इस स्थिति में किसान निजी व्यापारियों पर निर्भर हो गए हैं और उन्हें उचित दाम नहीं मिल पा रहा. CPI के यादाद्री भोंगीर जिला सचिव यनाला दामोदर रेड्डी ने सरकार से मांग की है कि रामन्नापेट में बिना शर्त खरीद केंद्र तुरंत खोले जाएं और बारिश से प्रभावित फसल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

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Published: 10 Nov, 2025 | 10:30 PM

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